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करौंदा
- करौंदा
२२६६ विचार से करौंदा तीन प्रकार का होता है। रक्त, करम पिपासान मम्लं रुच्यं च पित्तकृत् ।। श्वेत और कृष्ण । एक सफेद नोकों पर लाली
(राज.) लिये अत्यन्त मनोहर होता है। दूसरा कच्चा, करौंदा-प्यास को दूर करनेवाला, खट्टा, हरा अाधा लाल और पकने पर काला पड़ जाता रुचिकारी, और पित्तकारक है। है। कच्चे पर इनका कुछ भाग खूब सफ़ेद और
करमर्द फलञ्चामं तिक्तञ्चाग्नि प्रदीपकं । कुछ हलका और गहरा गुलाबी होता है। रासायनिक संघटन-इसकी जड़ में एक
गुरु पित्तकरं ग्राहि चाम्लमुष्णं रुचिप्रदं । स्थिर तैल, उड़नशील तैल, एक पीताभ श्याम
रक्तपित्तं कफश्चैव वद्धयेत्तृड् विनाशकम् । वर्ण का राल, और एक क्षारोद होता है। तत्पकं मधुरं रुच्यं लघुशीतञ्च पित्तहं ॥
औषधार्थ ब्यवहार-वल्कल, पत्र, फल रक्तपित्तं त्रिदोषञ्च विषं वातञ्चनाशयेत् । इत्यादि।
तच्छुष्कं पक्क सदृशं गुणैज्ञेयं विचक्षणैः ॥ औषध-
निर्माण-फल का शर्बत । मात्रा-१ से २ ड्राम।
अत्यम्लस्य गुणाश्च व ज्ञेया आमकरम्लवत् । फल-स्वरस, मात्रा-३० से १० बूद।
(वै० निघ०) पत्र-काथ मात्रा-१ से २ पाउन्स।
दोनों प्रकार के कच्चे करौंदे कड़वे, अग्नि गुण-धर्म तथा प्रयोग
प्रदीपक, भारी, पित्तकारक, ग्राही–मलरोधक, आयुर्वदीय मतानुसार
खट्ट, गरम, रुचि प्रद, रक्तपित्तकारक, कफजनक, अम्लं तृष्णापहं रुच्यं पित्तकृत्करमर्दकम् ।।
और तृषानाशक है। वही ( दोनों प्रकार के) पक्कं च मधुरं शीतं रक्तपित्तहरं मतम् ।।
पके हुये करौंदे मधुर, रुचिकारी, हलके, शीतल
तथा पित्त, रक्तपित्त, त्रिदोष, विष और वायुनाशक (ध०नि० ५ व०)
हैं । सूखे करौंदे के गुण पके करौंदे के समान और . कच्चा करौंदा-पिपासाहर, रुचिकारक और
अम्ल करौंदे के गुण कच्चे के समान जानना पित्तकारक है और पका करौंदा मधुर, शीतल
चाहिये। और रक्तपित्त नाशक है।
करमईफलं चामम्लं पित्त कफ प्रदम् । करमर्दः सतिक्ताम्लो बालो दीपनदाहकः ।
भेदनं चोष्णवीयं च वातप्रशमनं गुरुः॥ . पक्कत्रिदोष शमनोऽरुचिघ्नो विषनाशनः ।। (रा०नि० ११ व०)
पक्कं वुक्केऽल्पपित्ते च तन्मूलं कृमिनुत्सरम् । बाल-कच्चा करौंदा तिक. अम्ल, दीपन और
(शो० नि०) दाहक है। पका करौंदा त्रिदोष नाशक, अरुचि, कच्चा करौंदा-खट्टा, पित्तजनक, कफकारक, नाशक और विष नाशक है।
भेदक, उष्णवीर्य, वातनिवारक, और भारी है। करमर्दद्वयं त्वाममम्लं गुरु तृषापहम् । पका करौंदा पित्तनाशक है। इसकी जड़ कृमि उष्णं रुचिकर प्रोक्तं रक्तपित्त कफ प्रदम् ॥ नाशक ओर सर-दस्तावर है। तत्पकं मधुरं रुच्यं लघु पित्त समीरजित् । सुश्रुत के अनुसार यह रक्तपित्तनाशक, शुक्र
(भा०)
दोषनाशक, सर्व प्रमेहनाशक और शोथन है। . दोनों प्रकार के करौंदे ( करौंदा, करौंदी) यूनानी मतानुसार
अपक्क दशा में अर्थात् कच्चे खट्टे, भारी, तृषा प्रकृति-शीतल और तर । किसी २ के मत . नाशक, गरम, रुचिकारी हैं । तथा रक्त पित्तकारक
से शीतल एवं रूक्ष तथा किसी के मत से उष्ण एवं कफकारक हैं। पके हुये मीठे, रुचिकारी,
है। वैद्यों के समीप अपक्व उष्ण और पक्क .. हलके तथा पित्त एवं वायुनाशक हैं।'
शीतल है।