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करवट
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करविला
कुरवट-संज्ञा पुं॰ [देश० ] एक प्रकार का बड़ा वृक्ष, प्रकृति में यह गौरे का समान होता है। किसी
जिसका गोंद जहरीला होता है। जसूद । किसी के अनुसार करवाँ और कर वानक इन दोनों नताउल ।
शब्दों का व्यवहार एक प्रकार के पक्षी के लिये करवटी-[ मरा०] वस्तर। Callicarpa-la- होता है। यह पक्षी दो प्रकार का होता है।-(1) nata.
जंगली जो जंगलों में रहता है, (२) दरियाई 'करवटादि-संज्ञा पुं० [सं० पु.] रामचना | अम्ल- जो नदी-कूलों पर होता है। किंतु दरियाई कद में
पर्णी । परब्य वासिनी। अमलोला। नि. खुश्की वाले से द्विगुण बड़ा होता है। दोनों का शि०।
रंग सफेदी लिये लाल होता है। किसी किसीने रंग करवडादि-संज्ञा पुं॰ [सं० पु. | रामचना । अम्ल- के विचार से इसके दो भेद किये है। (१) पर्णी । अरण्यवासिनी। अमलोला । नि०शि० ।
सफेदी लिये लाल और (२) सफेदी लिये काला। करवधे-[ मदरास] सिरस ।
इनके पाँव और गर्दनलंबी होतीहै। शीलानी "शरह करवन-[ मल० ] वरुण । बरना ।
कान्न" में लिखते हैं कि यह एक पक्षी हैं करवप्पु-[ ते०] लौंग। .
जिसकी गरदन लंबी और पाँव पतले होते हैं। यह करवरू-[ मग.] कुडली । संग कुप्पो । हरित मंजरी | उष्ण और अत्यंत रूक्ष है । इसका मांस भक्षण हागापाता।
करने से मूत्रकृच्छ, रोग नष्ट होता है । वास्ति को करवल-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] कांस्य मिति
शक्रि प्रप्ति होती है। वस्तिगत अश्मरी टूटकर रौप्य । जस्ता मिली चाँदी।
निकल जाती है। उषण एवं रूक्ष प्रकृतिवाले को करवठ-संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की लता,
इसका मांस हानिप्रद है। (ख० अ०) जो अवध, बंगाल, पंजाब और लंका में पाई जाती करवाकंद- [ देश० ] गेंठी । ( Dioscorea है। इसकी पत्तियाँ ४.५ इंच लम्बी और फूल
___bulbifena) पीले रंग के होते हैं।
करवानक-संज्ञा पुं॰ [सं. कलविंक] घटकपक्षी। करवदा-संज्ञा पुं० [ देश० ] दे० "करौंदा"। गौरैया । चिड़ा। करवंदा-[गु०] दे० "करौंदा" ।
करवानग-सं० पु० दे० करवानक"। (१) भूरे करवा-संज्ञा पुं॰ [सं० कर्क केकड़ा] एक प्रकार की रंग का एक प्रसिद्ध पक्षी, जो नदी कूल पर एवं
मछली, जो बंगाल, पंजाब और दक्षिण की | जंगल में रहता है। जंगली से नदी तट पर पाया नदियों में पाई जाती है।
जानेवाला दूना बड़ा होता है। इसका मांस प्रत्यकरवा-[ ? ] लबलाब का एक भेद ।
न्त सुस्वाद होता है। करवाँ- [अ] मुन्तलिबुल्लुगात नामक प्रारब्य करवार-संज्ञा पु[सं• पु.] कृपाण । तलवार । अभिधान ग्रंथ में नर चकोर या सर्वथा चकोर
करवाल-यू. ) के लिये इस शब्द का उपयोग हुआ है । साहब सराह के अनुसार चर्ज़ नाम का एक पक्षी है।
प्रवाल । मूगा । बुस्सद ।
करवालियून-यू. किों और कराधीन इसका बहुवचन है। बहरुल करवाल-सं० पु. [सं० करबाल ] (1) नख । जवाहर में इसे माही खारः लिखा है। वुहान
नाखून । (२) खड्ग । तमवार । कातिश्र के अनुसार एक पक्षी का नाम है । उक ग्रंथ में इसका नाम उच्चारण "करवाँ" ओर की करवालिका-संज्ञा पुं॰ [सं० स्त्री०] करवाली। भी लिखा है। मजनुल अद्विया के लेखक ने करपालिका । करवाँ की जगह करदाँ लिखा है और लिखा करवाली-संज्ञा स्त्री० [सं० करवाल ] छोटी तलवार । है कि एक पक्षी का नाम है जो गौरा से | करविला-[पं० (Cadaba-Horrida,Liवृहत्तर होता है। इसके पाँव लंबे होते हैं मोर nn.) करलुर । करलुरा । दे० "करेलमा" ।