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________________ करकराहट २१६१ करक्युमा अंगष्टिफोलिया पर्या-कर्करटः, कर्कराटुः, कर्कराटुकः, कर्क- करकाञ्जिरम्-[ मज० ] काला कुचला । रेटुः, करटुः, करेटुकः, करेडुकः, कर्कटुः (सं०)। करकानू-[ ? कह । करकटिया, करकरा-हिं० । कर्कटिया कर्कटे पाखि | करकामेलोस-[?] पालू । करकाम्बु-संज्ञा [ सं० क्ली० ] श्रोले का पानी । बर्फ़ । प्रकृति-मांस-गर्म एवं रूक्ष है। करकाजल । वै० निघ०। गुण-इसका मांस स्थौल्यजनक, कामवर्द्धक | करकाम्भा-संज्ञा पुं० [सं० पु. करकाम्भस ] और अंगों के लिये बलप्रद है और वात एवं पित्त | नारियल का पेड़ । नारियल । त्रिका। को नष्ट करता है। (ता. श.) __संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] करकाजल । अोले वि० [सं०] [कर्कर, स्त्री० कर्करी] छूने में | का पानी। जिसके रवे या कण उँगलियों में गड़े। ककेश । करकार्की-संज्ञा स्त्री० खीरा । खुरखुरा। करकारु-संज्ञा० पेठा। करकराहट-संज्ञा पुं० [हिं० करकरा+बाहट (प्रत्य॰)] करकाश-[मिश्र] बाबूना । उक़हवान । (१) कड़ापन | कर्कशता । खुरखुराहट । (२) २) क(कु)रकास-[फा०] (1) दोसर । (२) तुम अाँख में किरकिरी पड़ने की सी पीड़ा। शैलम। करकबुदा-[ ते. ] Ficus asperrima, | करकीरा- सिरि.] जर्जर । Roob. काल ऊमर । खरवत । खरोटी। शाखो करकुड्मल-संज्ञा पुं॰ [सं० की.] हाथ की उँगली। टक | सिहोर। | करकुन-पं०] बालबसंत । कररिया-यू०] विषखपरा । हंदककी। करकुन्दूरुकम्-[मन०] Shorea tumbuggaia करकवा-[ता] चौली । बकरा। Roxb. कालाडामर । करकश नासिका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] उतरन । करकू-संज्ञा-कौड़ी बूटी । [शीराज़ी] कच्चा खरबूज़ा। गण नि० । नि०शि०। करत-[यू०, सिरि० ] केशर । करकशा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] उतरन । इन्दीवरा। | करकृष्णा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] जीरा। जीरक । . के० दे०नि० । नि०शि० । वै० निघ० । कुञ्ची । कालिका । कलौंजी : के० दे० करकशालि-संज्ञा पुं० [सं० पु.] रसाल इन्छ । निनि०शि०। पौंडा । गमा। करकेस-[ करकेश का मुश्र० ] एक प्रकार का बाबूना। करकस-वि० ३० "कर्कश' । करको-[ते. ] बोदुलर । बलेना । समरौं । करका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] करेला । कारवल्ली। करकोट-[बं०] अग्गई । शुकनी । रा०नि०व०७। करकोल-[ ता०] पीलू । झाल | संज्ञा पुं० [सं॰ स्त्री.] श्रोला । वर्षा का | करकोष्ठी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] हाथ की रेखा । पत्थर । बिनौरी । वर्षांपल । अम।। पा -मेघोपल, राधरङ्कु, धाराङ्कर, वर्षांपल। करकौम-[हिब्रू] केशर । वीजोदक । धनकफ, मेघास्थि, वाचर, कराकरक । | करकाय-[ त०] हड़। हरातका । करकाजल-संज्ञा पुं॰ [सं० क्रो० ] एक प्रकार का | करकाय-पुव्वुलु-[ ते०] हड़ का फूल । हरीतकी पुष्पा दिव्यजल । बिनौरी का पानी। वर्षांपल जल | नोट-वस्तुतः ये हड़ के फूल नहीं, प्रत्युत यथा माजू की तरह के अर्बुदाकार प्रवर्द्धन हैं जो हड़ "दिव्य वाय्वग्निसंयोत् संहताः खात्यतन्ति याः की पत्तियों और कोमल टहनियों पर पाये पाषाणखण्डवच्चाप स्ताः कारक्योऽमृतोपमाः। जाते हैं। करकाजं जलं रूक्षं विशदं गुरु च स्थिरं। करक्युमा अंगष्टिफोलिया-[ ले० Curcuma दारुणं शीतलं सान्द्रं पित्तहृत्कफवायुकृत्" ।। angustifolia, Roxb. ] तीखुर । त्वक् -वैद्यक । तीरी । तवासीर ।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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