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कयः
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करइत
कय:-[सिरि० ] मस्तगी।
| क्यू-ऊबे-[ जावा०] Euphorbia Tirvcalli, कियगहरु-[ मल० ] अगर।
Linn. वाड़ का थूहर । कयन-[बर० ] गंगवा । गेभोर । गेरिया । कयुर-[ ता. मडा । मकरा (अवध)। कयपूती-संज्ञा स्त्री० [मला० कयु=बेड़+पूती सफ़ेद ] कयूड-[१०] वामक कै लानेवाली दवा। Em
एक सदाबहार पेड़ जो सुमात्रा, जावा, फिलिप - etic इन श्रादि पूर्वीय द्वीप समूड में होता है । जावा | कयूकारसीस-[ यू०] हाऊबेर। हबुषा। अरअर ।
और मैनिला श्रादि स्थानों में इसकी पत्तियों का कयूकस-[यू ] केसर । तेल निकाला जाता है जो स्वाद में चरपरा, कपूर- कयूतमस.र- यू.] ककड़ी। ख़यारतः । वत् उड़नशील और तीव्र गंधी होता है। वि० कयूतावसान-[रू.] कड़ का बीज । बरें । तुरुन दे. "कायापुटो"।
कुम हिंदी। कयप्पन को?- ता०] Strychnos gnatii कयूमन रीस-[यू.] कांच की तरह की एक चीज़ जो पपीता ।
समुद्र के किनारे पाई जाती है। कयबा, केबा-[ज़ंद ] चाँदी।
कयूमीत-[?] जंगली पुदीना । श्रालीजून । क्यमा-संज्ञा पु० दे० "कैमा'।
कयूरोमून-[ ? ] काली जीरो । क़रोमाना । कयम्पुवुचेडि-[ ता० ] अंजनी । लोखंडी । कयेनी-बर० ] ताँबा । कयलोर-[ मल० ] सहिजन । शोभांजन
कयेटबेल-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] कैथ । कपित्थ । कयसी-[ बर० ] इंद्रायन ।
कयोगवा-[पश्चिमी ] मूली । भेटगा | पिंडालु। कयस्था-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री. (१) हड़ । हरी- कयोगडिस- मल.] (Cinnamorrum
तको । (२)एक अष्टवर्गीय ओषधि । काकोलो।। parthenoxylon,Meissn ) अ. टी. स्वा०। (३) छोटी इलायची । कय्य-[अ०] जलाने की क्रिया। दग्धकर्म । दाह
सूचमैला । च० द. उन्मा० चि० महापैशाचत । कर्म । दागना । तप्त लौह-शलाका द्वारा दग्ध कया-सिरि० ] मस्तगी।
करना । Cautrization कयाना-[फा०] तत्व चतुष्टय । पर तत्व । जैसे, कय्य:-[अ० दाग़ । दाग़ की जगह । अग्नि, वायु, जल. और पृथ्वी ।
कय्यविद्दवाऽ-[१०] औषध से दग्ध करना, औषध क़यानारीन-यू.] कृत्रिम शिंगरफ़ ।
द्वारा दाहकर्म करना । दवा से दाग़ देना । कयानीकू.न-[यू० । विजयाबीज । शाहदानज।
Caustic. कयान्दलक-[?] आँवला।
करियस-[१०] [ बहु• करियसा ] बुद्धिमान । कयामतराना-[सिरि०] अनार की कली जो पूरे | चतुर । दाना। तोर से निकली न हो।
कर-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] (') हाथ । हस्त । यामून, कयामूयन-[यू.] दालचीनी ।
रा०नि०व०१८ । (२) हाथी की सूड। कयामसीन-यू.] दाल चीनी का तेल ।
शुण्डादण्ड । मे० रद्विक । (३)सूरज वा चंद्रमा क्रयामूसीस-[यू.]दालचीनी।।
को किरन । रश्मि । (४) भोला । कयारूस-[१] हर्शन का एक भेद ।
वर्षोपल । पत्थर । (५) बाहुल्य चुप । काश्मोर कयावाकनी-[सिरि ] ग़ार का पेड़ ।
में इसे "तवरूड" कहते हैं। तरवड़। रा०नि० कयासूस-[ यू.] दालचीनी ।
व०४ । (६) उत्सङ्गादि। [?] (१) शाहतरा । पित्तपापड़ा । (२) करअफ़तनीन-[१०] लम्बा कद्रू। जंगली जीरा ।
करइत-संज्ञा पुं॰ [देश॰](१) एक प्रकार का कयाह-सज्ञा पु० [सं० पु.] पके ताड़ के रंग का कीड़ा जो लगभग ६ अंगुल लम्बा होता है और
घोड़ा । जैसे, “पक्वतालनिभो वाजी कयाह, परि- हवा में उड़ता है । (२) एक प्रकार का साँप कीर्तितः" । ज० ० ३ ०। . । करैत ।