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________________ २१६४ कमल इंदीवारं, उत्पलक, मृदूत्पल-सं०। नीला कमल, नीली पुरइन्-हिं । नीलपद्म-बं० । करिया तामरे करिय तांवरे-कना० । नीले कमल-मरा । नील कमल-गु०, करियातावरे-कना० । नेल्ल नामरते । N. Pubesceus-ले० । कुमुद वर्ग बीज-हिं० । द० । वेल्लै तामर-विरै-ता० । सेल्लतामर-वित्तुलु-ते० । तवै वीज-कना। जड़ सुफ़ेद कँवल की जड़, सुफ़ेद नीलोफर ? की | जड़-हिं०, द० । वेल्ल-तामर-वेर-ता० । तेल तामर वेरु-ते०। लाल कमल (पुष्प)___ रकप, नलिनं. पुष्कर; कमलं, नलं, राजीवं; कोकनदं, शतपत्रं, सरोरुहं (ध०नि०), कोकनदं अरुण कमलं, रक्राम्भोज, शोणपद्म, रक्कोत्पलं, अरविन्द, रविप्रियं, रकवारिज, वसवः (रा० नि०) रक्कपद्मः, रक्कमलं, अल्पपत्रं, अलिप्रियं, चारुनालकं, अलोहितं, कृष्णकंदं, रकवणं, रक्कम्वलं, रक्रकह्रारं, हृल्लक, रकसन्धिक, रकोत्पल,रक्रसरोरुहं, रक्ताम्भ-सं० । लाल कमल का फूल, लाल कवल के फूल, लाल नीलोफर ! के फूल-हिं०, द०। रकपन, रक्त कम्बल- बंनिलंबियम् स्पेसिमोसम Nelum bium speciosum, Willd N. Carruleum ( Flowers of-) -ले। Flowers of the Egyptian or Pythagorean Bean, Red lotus ( The red, pink, crimson or rose-colored variety)-अं.। शिवप्पु-तामर-पू०-ता० । ए कालावा, तम्मि, (तास्मि पुव्वु), ए-तामर-पुन्बु-ते० । केदावरेकना० । तांबड़े काल-मरा। रातना ऊघेडेते, रातांकमल-गु०। बीज-- कोकनद बीज-सं० । लाल कँवल के बीज,लाल मीलूफर ? के बीज-हिं०, द० । शिवप्पु तामर-विरै -ता० । ए-तामर-वित्तुलु-से० । जड़-लाल कवल को जड़, लाल नीलूफर ? की जड़-हिं०, द.। शिवप्पु-तामर-वेर-ता। एरै तामर वेरू-ते। नीला कमल (पुष्प) सौगन्धिकं, नीलपद्म, भद्रं, कुवलयं, कुजम्. इन्दीवरं; तामरसं, कुवलं, कुड्मलं (ध० नि०) उत्पलं, नीलकमल, नीलाब्जं, नीलपंकजं, नोलप (रा० नि० भा०), नीलाम्बूजन्म, नीलोत्पलं, / . भीलपंकज,नीलाम्बुजं,इन्दिरावरं, इन्दिवरं, इंदम्बरं, (N. O. Nymphea.cee) उत्पत्ति-स्थान-कमल समग्र भारतीय जलाशयों में उत्पन्न होता है । इसके अतिरिक्त अमेरिका, कास्पीय सागर के तटस्थ प्रदेश, फारस, चोन ओर मिश्र देश में इसका पौधा उपजता है। श्वेत और रक्त कमल भारतवर्षके अनेक स्थान पारस्य,तिब्बत चीन और जापान में मिलता है किंतु नोल कमल केवल काश्मीर के उत्तरांश, तिब्बत के अंतर्गत गंधमादन और चोन के किसो किसो स्थान में देख पड़ता है। पृथिवी के मध्य चोन देश में ही यह अधिक होता है। चोना इसको जड़ बड़े प्रेम से खाते हैं। इतिहास-भारतवासो अत्यंत प्राचीन काल से ही इसके पुष्प को अति पवित्र समझते पाये हैं। वेद में भी "कमलाय स्वाहा” (तैत्तिरीय संहिता ७।३।१८।१) मन्त्र मिलता है। महाभारत के अनुसार भगवान को नाभि से उत्पल और उत्पल से ब्रह्मा का उद्भव हुआ है। "प्रधान समकालन्तु प्रजाहेतोः सनातनः । ध्यान मात्रेतु भगवन्नाभ्यां पद्मः समुत्थितः । ततश्चतुमु खोब्रह्मा नाभि पद्माद्विनिःसृतः।। महाभारत वन०२७१ । ४१-४२॥ कमल का फूल भारतवर्षीय नाना स्थानों के देव मन्दिर और भूटान में पूजा के लिए व्यवहृत होता है। इसका फूल लक्ष्मी को अत्यन्त प्रिय है। पूर्व काल में मिश्र निवासी भी कमल को पवित्र पुष्प समझ पूजा में व्यवहार करते थे । पाश्चात्य यूनाम देशीय पंडित सावफ़रिस्तुस Theophrastus ने Kuamos Aigyptios (मिश्र की सेम) नाम से इसका उल्लेख किया है। प्रारब्य और पारस्य देशवासी नीलोफर नाम के अंतर्गत, जो उनके कथनानुसार भारतीय नाम का अपभ्रंश है और नील-जल+फल से व्युत्पन्न है, अनेक
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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