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________________ कमरख होती हैं। प्रत्येक कोण की चौड़ाई भिन्न-भिन्न 1⁄2 इंच से लेकर एक इंच तक होती है । कच्चा फल बिल्कुल हरा होता है, परन्तु पकने पर यह खूब पीला हो जाता है । इसका पका हुआ फल अढ़ाई इंच से साढ़े तीन इंच लंबा कुछ पिलाई लिये हरे रंग का होता है । यह अत्यन्त रसपूर्ण एवं अम्ल होता है और इसमें एसिड श्राक्जेलेट श्राफ पोटास वर्तमान पाया जाता है। कच्चे फल खट्टे और पक्के खटमिट्ठ े होते हैं । खट्टा और मीठा भेद से कमरख दो प्रकारका होता है | बंगाल में खट्टा खोर खटमिट्ठा इसके ये दो भेद होते हैं। ख़ज़ाइनुल् श्रदविया के रचयिता लिखते हैं- " मामू साहबने मालवे में ऐसी कमरखें भी खाई हैं, जिनमें बिल्कुल तुर्शी न थी ।” नुस्खा सईदी में लिखा है कि अँगरेज श्रागरे में किसी देश से ऐसे कमरख के पेड़ लाये हैं, जिसमें जरा भी तुर्शी - अम्लत्व नहीं । मेरे एक मित्र कहते हैं कि मैंने मीठा कमरख खाया है। ख़० श्र० | "बिलिंबी" नामक कमरख भी इसी का एक श्रन्यतम भेद है, जिसे लेटिन भाषा में Averr hoa Bilimbi, Linn. कहते हैं । इसका • वर्णन यथा स्थान होगा । उर्दू भाषा के ग्रन्थों में कमरख शब्द का प्रयोग स्त्रो लिंग में हुआ है । पाश्चात्य मतानुसार यह प्रथम भारतीय महा सागर के मलक्का द्वीप में उत्पन्न होता था । वहाँ से यह सिंहल गया और सिंहल से भारतवर्ष में पहुँचा । परन्तु यह बात ठीक नहीं, क्योंकि बहुत प्राचीन काल से ही कर्मरंग भारतवर्ष में उपजता है । जिसका प्रमाण रामायण में मिलता है । इसके सिवा श्रायुर्वेदीय ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है । श्राजकल भारतवर्ष में प्रायः सर्वत्र यह होता है । पर्या०-(वृक्ष) कर्मार, कर्मरक, पीतफल कमर, मुद्गरक, मुद्गरफल, धाराफलक, कर्नारक ( रा० नि० ), कर्म्मरंग ( भा० ), शिराल, वृहदम्ल, (वृहद्दल) रुजाकर (श०) कम्मर, कम्मर, पीतफज, कर्म्मर, मुद्गर, धाराफल, कम्मरक धाराफलः, शुक्रप्रियः, कारुकः-सं० । कमरख का पेड़ - हिं० । कामराङ्गा गाछ - बं० । कर्म्मराचे कम्मरें मरा० । अबिरोत्रा करम्बोला झाड, २१५५ ? कमरख Averrhoa Carambola, Linn. -ले० । कमारक -गु० । तमारटम-मरम् - ता० । तमारटा कया - ते० । चाइनीज़ गूज़बेरी ( Chinest Gooseberry - श्रं० । कमरकखाटां मीठांवेछे - गु० । (फल) पर्य्या० कर्म्मफल, कर्म्मरङ्गफल, कर्म्मरङ्ग, कम्मर - सं० कमरख, कमरक, कमरंग, -हिं० । ख़मरक, कर्मल (मोठा) कामरंग- द० | कमरक, कमरंग, कर्मरंग, कमरंगा - बं० | Frint of Averrhoa Ca rambola, Adans, Linn. ले० । चाइनीज गूज़बेरी Chinese Gooseberry -श्रं० | तमर्त्तम्- काय, तमरत - ता० । तमर्त काय, तम्म काय, तामरतमु, करोमोंगा - ते ० । तमरत्तूक, तमरतुका, तमरत्त मल० । कमरक, डरेहुली - कना० । तमरक - गु० । कमरख, तमरक ० गु० । जौन्सी, जौन्-या-सो, जुगया । - बर० । कर्मर, खमरक, कर्मार - बम्ब० । तमरत करमर - मरा० । करम्बल - कों०, कर्डे, करदयी श्रासा० । करम्बोल - पोतु गाज़ चाङ्गेरी वर्ग ( NO. Geraniaceae.) उत्पत्ति स्थान - खट्टे फलों के लिए, भारतवर्ष के समग्र उष्ण-प्रधान प्रदेशों में इसकी काश्त होती है । इसके मूल उत्पत्ति-स्थान का पता नहीं । किसी-किसी का अनुमान है कि मलक्का वा नई दुनियाँ से पुर्तगाल निवासी इसे यहाँ ले थाये, जो इसे 'करबोला' र 'बिलिबिनास' संज्ञा से अभि हित करते हैं। आयुर्वेदीय निघण्टु-ग्रन्थों में भी इसका उल्लेख पाया जाता है । रासायनिक संघटन — फल में एक प्रकार का जलीय गूदा होता है, जिसमें अधिक परिमाण में एसिड पोटासियम श्राक् जैलेट पाया जाता है । बीजों में 'हर्मेलाइन' नामक उपचार रहता है । यह जल में विलेय पर ईथर श्रोर सुरासार में विलेय होता है । औषधार्थ व्यवहार — वैद्यलोग इसके फल जड़, फूल और पत्तियों को श्रोषध के काम में लाते हैं ।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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