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कपोतारि
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कफकर
फिर उससे वायु, पित्त, कफ और रक चारों बिगड़ | कप्पलम-[ मल.] अरंड खरबूज़ा । पपीता । विड:जाते हैं। (सु०)।
यती रंड़। वि० [सं० वि०] कबूतर के रंग का । चम- प्पलमेलक-[मज.] लाल मिर्च । कुमरिच । कोला भूरा।
कप्पु-[ कना० ) काला । कृष्ण । कपोतारि-सज्ञा पुं॰ [सं० पु.] बाज़ पक्षी । श्येन । कप्पुमाण काल-कना०] सेंदुरिया। लटकन । श. र०।
(Bixa Orellana, Linn.) कपोत का-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (१) चणक | कफा-संज्ञा पु. (फ्रा० कफ्र=माग गाज] अनोम
मूली । चाणक्य मूलक । कोमल मूलक । वै. | का पसेव । निव० । बड़ी मूली । नि०शि० । (२)कपोती। कप्यक-[सं०] पलपल । कबूतरी।
कप्याख्य-संज्ञा पुं० [सं० पु.](१) शिलारस । कपोती-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री. (१) कबूतरी । कबू- सिडक । (२) वानर । बंदर ।
तर को मादा । (२) पेंडुको । (३) कुमरी। कप्यास-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] बंदर का चूतम् । वि० [स० कपात क रग का । नाकी । धूमले | वानरगुद। बंदर की पीठ के सामने का हिस्सा । रंग का । फालतई रंग का।
वि० [सं० वि०] लाल । रक। कोर- मल.] कत्ली का चूना । सुवा।
काली-[ता०] कमीला । कपोल-संज्ञा पु० [सं० पुं० को०] [स्त्री० कपोजी] |
कफ-संज्ञा पुं॰ [सं० पु०-देह+कल् गति] (1) (१) मस्तक । मत्था । (२) गाल । गण्ड
वह गाड़ी लसोली और अंठेहार वस्तु जो खाँसने स्थल । रा०नि०व०१८।
व थूकने से मुंह से बाहर आती है तथा नाक से कपोलक-संज्ञा पुं॰ [सं० वी० ] गाल ।
भी निकलती है। श्लेष्मा । बलग़म । ( Phleकपोल काष-संज्ञा पुं॰ [स० पु.] () हाथी की
gm)-अं०। कनपटी। हस्तिगण्डस्थल। (२) वृतादि का
(२) वैद्यक के अनुसार शरीर के भीतर की स्कन्ध स्थान । हाथी के अपनी कनपटी रगड़ने का
एक धातु जिसके रहने के स्थान प्रामाशय, हृदय, स्थान । पेड़ का खवा।
कंठ, शिर और संधि हैं। इन स्थानों में रहनेवाले "नीलालिः सुरारिणां कपोलकाषः।"
कफ का नाम क्रमशः वेदन, अवलंबन, रसन, (भारवि)
स्नेहन और श्लेष्मा है आधुनिक पाश्चात्य मत से कपोलगेंदुआ-संज्ञा पुं॰ [सं० कपोल+हिं० गेंदा ]
इसका स्थान साँस लेने की नरियों और प्रामाशय गल-तकिया । गण्डस्थलोपधान |
है। कफ दृषित होने से दोषों में गिना जाता है। कपोलफलक-संज्ञा पुं॰ [सं० वी० ] प्रशस्त कशेल ।
वि० दे० "श्लेष्मा" रा०निव० २१ ।। संभवतः कपोलास्थि को ही कपोलफलक'
(३) कैथ का पेड़ । कपित्थ वृक्ष । रा०नि० कपोलास्थि-संज्ञा स्त्री० [सं०] कपोल की अस्थि ।
व० ११ । (४) समुद्रफेन । च० ६० अर्श चि.
प्रलेप। गाल की हड्डी । ( Molar bone ) प्र० शा०।
कफ-संज्ञा पुं॰ [फा०] (1) भाग । फेन । (२) कपोली-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] जान्वग्रभाग । घुटने का अगला हिस्सा।
कफ अज्दम-[१०] (1) संभालू । म्यादी । कप्पक-[ मल.] करेला।
( २ ) सुबुल रूमीकी जड़ । (३) कर्महे बै जा कप्पमावकुरुन मल.] काजू ।
फ्राशरा । (४) नुस्युल् कल्व । कप्पुमावु-[ मल• ] काजू ।
कफ भावगीन:-[फा०] मसहूनिया । कप्पमेणसु-[ कना० ] काली मिर्च ।
काक-[फा०](१)माग। (२)खुर्ला । कप्सल चैक रु-[ मन० ] काजू ।
| कफकर-वि० [सं० वि.] कफजनक । कफकारक ।
खा ।