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________________ कपास २०१२ कपास बिनौले की खली हलके भूरे रंग की होती है। जिसमें बीज के छिलके का बहुत भाग होता है। इसका स्वाद फीका और हृल्लासकारक होता है। यह पशु खाद्य एवं खाद के काम आती है। प्रारंभ में इसमें किंचित् मधुर पदार्थ गुड़ादि सम्मिलित कर देने से इसे पशु रुचिपूर्वक खा जाते हैं। कर्पास मूल-त्वक पर्या-कपास की जड़ की छाल । -हिं० । पोस्त बोला पंबः (ना.) Cotton Root Bark काटन रूट बार्क -अं० । गासोपियाई रेडिसिस कार्टेक्स Gossy pii Radicic Cortex -ले। . नोट-एलोपैथी में कर्पास भेद (Gossy pium Herbacium ) जो भारतबर्ष तथा अमेरिका आदि देशों में होता है, उसकी जड़ की छाल ग्रहण की जाती है, इसकी पतली २ लचीली पट्टियां या वक्राकार खण्ड होते हैं, जिनके भीतरी पृष्ठ पर एक भूरे रंग की पीताभ मिल्ली होती है। यह गंध रहित और किंचित चरपरे और कसैले होते हैं। औषध-निर्माणएलोपैथी में-(परिशिष्ट जात औपनिवेशिक एवं भारतीय औषध) सम्मत योग-Official Preparations (१) डिकॉक्टम् गाँसीपियाई रेडिसिस कॉर्टीसिस Decocrum Gossy pii Radicis Corticis -ले। डिकाक्शन श्राफ काटन रूट-बार्क Decoction of Cotton Root Bark -अं०। कार्पासी मूल-त्वक्वाथ-सं० । कपास की जड़ की छाल का काढ़ा -हिं। मत्बूख पोस्त पंबः । जोशांदहे पोस्त बीन पबः -फ्रा० निर्माण बिधि-४ श्राउंस कपास की जड़ की छाल को २ पाइंट पानी में इतना क्वथित करें कि कुल १ पाइंट रह जाय। पुनः इसे वस्त्र पूत ssy pii Radicis Corticis Liquis dum-ले। लिक्विड एक्स्ट क्ट श्राफ काटन F2 Liquid Extract of Cotton Root-अं०। कर्पास-मूल प्रवाही सार-सं०। कपास की जड़ की छाल का प्रवाही सत्व । खुला:सहे पोस्त बीख़ पंवः सय्याल -फा० । निर्माण बिधि-कपास की जड़ की छाल का ३० नम्बर का चूर्ण २० पाउन्स, ग्लीसरीन ५ फ्लुइड पाउंस, सुरासार (8००/.) आवश्यकतानुसार । ग्लीसरीन को १५ फ्लुइड पाउंस सुरासार में मिलाकर और उसमें से १० श्राउंस लेकर उससे चूर्ण को क्लोदित करें और परकोलेटर में स्थापित कर ४८ घटे तक रखा रहने दें। फिर उसे इतना परकोलेट करें कि छाल सर्वथा एग्झाष्ट हो जाय | प्रथम १४ श्राउंस परिसु तद्रव को पृथक करके उसे आँच पर इतना उड़ाएँ कि वह मृदु सारवत् शेष रह जाय । पुनः इसे १४ अाउंस पृथकीकृत् द्रव में विलीन करके इतना और सुरासार सम्मिलित करें कि कुल द्रव्य मान एक पाइंट हो जाय । मात्रा-1 से १ फ्लुइड ड्राम । असम्मत योग ( Not official Preparations ) (१) एक्स्ट्रक्टम गासीपियाई रोडसिस कार्टिसिस Extratum Gossy pii Radicis Corticis-ले। कास-मूलत्वक रसक्रिया । कपास की जड़ की छाल का सत । रुब्ब पोस्त बोल पंवः (फ्रा०)। नोट-यह एक ईषत् सुरासारोय योग है। मात्रा-१ से ४ ग्रेन । (२) पिल्युला गासीपियाई कंपाजिटा Pilula Gossypii Composita-ato 1 मिश्रित कार्पास वटिका । हब्बुल् कुन मुरकब । निर्माण विधि-एक्सट क्टम्, गासीपियाई कार्टिसिस, एक्सट्रक्टम् हाइड्राष्टिस, प्रोटीन प्रत्येक १ ग्रेन । इनकी एक वटी प्रस्तुत करें और ऐसी एक-एक वटी दिन में तीन या चार बार दें। कन्जष्टिम डिस्मेनोरिया (रकावष्टंभ जनित कष्ट रज) में उपकारी है। कर लें। मात्रा–प्राधे से १ फ्लु० अाउंस । (२) एक्स्ट्रक्टम् गासीपियाई रेडिसिस । कार्टीसिस लिकिडम्-Extractum Go-|
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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