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निका"।
ओढ़ना १८३६
ओनया ओढ़ना-संज्ञा पुं० [हिं० ) (१) देहाच्छादन वस्त्र । नोलझिण्टी । प्रार्तगल । च० चि० ३ अ० चन्द. (२) बिस्तर की चहर ।
तैल। आढ़नी-संज्ञा स्त्री० [हिं०] छोटी चहर । पछौरी । ओदना-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] दे॰ “श्रोदनिका" । ___ यह त्रियों के काम आती है।
प्रोदनाहया-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (१) महाओढायलङ्कषा-सज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री०] गोरखमुण्डो। समझा। कंघी । ककही । रा०नि० व.४। (२) वै० निधः।
बरियारा। खिरिहिटी। वाटयालक। मद० श्रोणि-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (१) सोमरस व०१
प्रस्तुत करने का एक पात्र इसके दो भाग होते हैं। ओदनिका-संज्ञा० स्त्री० [सं० स्त्री० ] (1) कंघी । (२) स्वर्ग-मर्त्य । पृथ्वी-आकाश । (३) रक्षा महासमङ्गा । (२)बरियारा । बला | वाट्यालक । करनेवाली शक्ति । (४) रक्षा ।
रा०नि० व० ४। ओणी-सज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] दे॰ “श्रोणि'। ओदनी-संज्ञा० स्त्री० [सं० स्त्री० ] दे० "श्रोदओएडु-[क] अजवाइन । ओण्डकाख्या-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] अढउल ।
ओदनीय-वि० [सं० त्रि०] भत्य वस्तु । खाने योग्य रा.नि.व. १० दे० "श्रोड़"।
वस्तु । श्रोत-सज्ञा स्त्री० [हिं० ] (१) सुख ! विश्राम । ओदर-संज्ञा पु० दे० "उदर"।
श्राराम । (२) आलस्य । सुस्ती। (३) अव- ओदला-प्रासा० ] गुलू । गूल । कुलु । बलि । ई० शिष्टांस | बचत । (४) लाभ ।
मे००। वि० [सं० वि०] (१) अतव्याप्त । भीतर | ओदा-वि० [सं० उद-जल ] गीला । नम । तर । भरा हुआ । (२) बुना हुआ । (३) कपड़े के ओदि (डि ) यर- ता०] जिंगिनी | जिनन । ताने का सूत ।
श्रोदिय-मरम्- ता० ] जिगन । जिंगनी । (odinaओता-[ यू० ] कान । कर्ण।
wodier, Roxb.) ओतामूनी-[१०] वनपोस्ता । जंगलीपोस्ता। ओदी-मरा० ] अमलवेल । गीदड-द्राक । अमलोश्रोतु-संज्ञा स्त्री० [सं० पु, स्त्री० ] (१) बिडाल ।
लवा । बिल्ली । अम० । (२) बनविडाल । जंगली बिल्लो। ओदी-फरुनस-[यू० ] भंग | सिद्धी । विजया । वै० निघ० ।
आंदोमन-[?] अज्ञात । श्रोतुद्भवा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] मुश्मबिलाव । | ओदुवन-[ता०] (Cleistan thus-collinus, उद-बिलाव । उदविडाल ।
___Benth.) श्रोद-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] अन्न । अनाज । ओद्दिमानु-ते. ] जिगत । गिनी । दे० "प्रोदिय
संज्ञा पु. [ सं० उद-जल ] नमी। तरी । मरम्"। गीलापन । सील ।
श्रोधस्-संज्ञा पु० [सं० की ] पशु-स्तन । थन । वि० गीला | तर । नम |
ओनया-[यू.] एक बूटो का निचोड़, जिसके परिचय [ते. ] ऊदुगडी।
के संबन्ध में बहुत मतभेद है । (१) किसो-किसी ओदन-संज्ञा पुं० [सं० पु.](१)अद्भव सिक्थ । के मत से यह "मामीसा" का निचोड़ है। (२)
यह माँड़ इत्यादि से भारी होता है। वा. टी. किसी-किसी के अनुसार यह खालीदुनियून स्याह" हेमा० । (२) यवासिका। .
(काली हल्दी)का निचोड़ है। (३) मतान्तर संज्ञा पुं॰ [सं० बी०] (१) पका हुआ से यह 'अनाग़ालुस” मादा का निचोड़ है । (४) चावल । भात । प० मु० । (२) अन्न | अनाज । अपर मतानुसार यह काले पोस्ते का उसारा
रा०नि० व. २० | सा. कौ० ज्व० वलि। (निचोड़) है । (५) एक वनस्पति का उसारा । मोदनपाको संज्ञा पु० [सं० पु.] नील कटसरैया । यह अफरीका के देश में मित्र के समीप होती है।