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ओट, कॉमन
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श्रोदन
पीले सुगंधित फूल तथा ताड़ की तरह के फल | ओड़ी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] तिनी। नीवार । लगते हैं । इन फलों के भीतर चिकना गूदा होता देवधान्य । उडिधान्य-(बं०)। है और इनका व्यवहार खटाई के रूप में होता प-०-नीवार, प्रोड़ी (२०)। है। वैद्यक में यह फल रुचिकर, श्रम तथा शूल- गुण-शोषण करनेवाली, रूखी, कफ तथा
रोधक और विषघ्न कहा गया है। वायुवर्द्धक और पित्तनाशक है। रान० । दे. पा०-भव । भव्य । भविष्य । भावन । "तिन्नी"। वक्त शोधन । लोमक । संपुटाङ्ग । कुसुमोदर । ओडी-कोलोन-फ्रांo eau-de-cologne ] एक (रा०नि०। राज.), प्राविक, सुपुटाङ्ग, ओष्ठ | पेटेन्ट औषध । -सं। चालता, भव्य-हिं०। चालन-बं० । योग-आलियम् बर्गेमोट २ ड्राम, आलियम् अटाच झाड़, ओंटी चे फल-मरा० । ओंटफल. लाइमोनिस १ ड्रा०, आलियम् नैरूली २० बूंद, करमल-गु० । चको-फा० । Garcinia za- प्रालियम् पारिगैनी ६ बूंद, आलियम् रोज़मेराइनी nthochymus, Hook.-ले।
२० बूंद, स्पिरिटिस रैक्टिफिकेटस २० औंस, उत्पत्तिस्थान-कलकत्ता और जगनाथ की और एका फ्लोरीज़ प्रारंशियाई(त्र्यग्निक)१ औंस । तरफ़ अधिक होता है । वि० दे० "भव्य"। । निर्माण-विधि-सबको एक साथ मिलालें । ओट, कामन-[अं॰ oat, common ] विला- | ओडीलूस-[फ्राँ eaude-luce ] एक पेटेण्ट यती जौ।
औषध । सर्पविषनार्क । दे० "अमोनिया"। ओट-फल-संज्ञा पुं० [हिं०] बालूबोखारा। ओडू-संज्ञा पुं० [सं० पु.] (१) जपा | अदउल ओटिङ्गण-[ गु० ] उटंगन | शिरियारी ।
देवीफूल । जवा कुसुम वृक्ष । जवाफुलेर गाछ-बं० ओटेङ्गण-प्रासा० ] चालता-बं० ।
जासविन्द-(म०)। रा०नि० व०१०। ओटो ऑफ रोजेज-[अं० otto of roses ] गुण-संग्राही और केशवर्धक है। भा० पू० ___ गुलाब का अतर । दे० "गुलाब" ।
१ भ. पुष्प व०। पाखाना पेशाबको रोकनेवाला ओटो डी रोजी-[फ्रांo otto de rose ] गुलाब
तथा उन्हें रञ्जित करनेवाला है। रा०नि० । ___का अतर । दे० "गुलाब" ।
कटु, उष्ण, इन्द्रलुप्त (गंज ) रोगमाशक, विष, ओटो-दिल-बहार-संज्ञा पुं० [अं॰ोटो otto+दिल चर्दि तथा जंतुजनक है और इससे सूर्योपासना ____हिं०+बहार ] गुलाब का इतर । दे. “गुलाब"।
किया जाता है। रा०नि०व०१०। इसकी मात्रा ओठ-संज्ञा पु० दे० "ओठ"।
३ मा है। ओडगी-संज्ञा स्त्री० [देश॰] अङ्कोल । ढेरा। ओड़क-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] दे० "प्रोड"। प्रोड(द)ल्लम्-[ मल] (Cerbera-odollam, ओडूकाख्या-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] अढउल । Gartn.) दबूर, ढकुर-बं० । सुकनु-मरा० ।
____ जवापुष्प । रा० नि० व० १० । दे० "प्रोडू"। फा०ई०२ भ०।
ओड़- पर्याय-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] सूर्यकान्त
पुष्पवृक्ष । अढ़उल । अम० । दे० "प्रोडू"। ओड(ढ)हुल-संज्ञा पु० दे० "अड़हुल"।
ओडू-पुष्प-संज्ञा पुं॰ [सं० क्री० ] अडउल । जवा ओडा-सज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] ).
जपा पुष्प।
कुसुम । प० मु० । दे. "प्रोडू"। . ओडाख्या-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] ) | आडू-पुष्पा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] अढउल । अवाश्रढ़उल | गुड़हल ।
वृक्ष । वै० निघ० । दे० "प्रोड"। ओडि-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] श्रोडिका | शा० औ० श्रोड्-पुष्पी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] दे॰ “श्रोडू"। को।
ओड्राख्या-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] अदउल | रा. ओडिका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] पोड़ी।
नि० व० १० । दे. "प्रोडू"। ओडिना वोडियर-[ ले० odina-Wodier ] ओढ़न-संज्ञा स्त्री० [हिं०] श्रोढ़ाई । शरीर को वस्त्र ... जिंगिनी । अजशृङ्गी। जिगिन। . .
से ढाक ने का कार्य।