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ओजोन
"चरक" में पुनः लिखा है-हृदय में जो शब्द में वह भाव कदापि निहित नहीं है । हरिद्वार किसी दर पीले रंग का शुद्ध रुधिर-खून दीखता महाविद्यालय में भाषण देते हुए नारायण स्वामी है, उसो को भोज कहते हैं। उसके नाश होने ने अोज शब्द को पूर्ण व्याख्या करते हुए यह से शरीर का भी नाश हो जाता है।
सिद्ध किया था कि किसी भी अन्य भाषा के - ओजक्षय के कारण-चोट लगनेसे, क्षीणता | ग्रंथों में "प्रोज" शब्द के तुलनात्मक शब्द नहीं से, क्रोध से, शोक से, ध्यान (चिंता) से परिश्रम मिलते। और सुधा से ओज का नाश होता है । क्षीण हुआ ओजम्-[ तुर० ] अंगूर । दाख । श्रोन मनुष्यों की धातु प्रभृति को नष्ट करता है। ओजस्कर-वि० [सं०नि०]ोज नामक धातु का
ओजक्षय के लक्षण-पोज क्षय होने से | वढ़ानेवाला । श्रोजवर्द्धक । कुव्वत हैवानी को प्राणी सदैव भयभीत रहता है, शरीर कमज़ोर हो बढ़ानेवाला। जाता है, हर समय चिन्ता बनी रहती है, सारी ओजस्वत्-वि० [सं० त्रि०] (१) तेजस्वी । (२) इन्द्रियाँ व्यथित रहती हैं, शरीर कांतिहीन, बलवान् । रूखा और क्षीण होजाता है।
ओजाक-[फा० ] देग़दान । चूल्हा । "सुश्रुत' में लिखा है-रोज की विकृति के ओजाग़-[अ० ] देग़दान । चूल्हा । तीन रूप होते हैं-(१) पतन, (२) बिगड़ ओजायित-संज्ञा पुं॰ [सं० की.] आतप । गर्मी । जाना और (३) क्षय होजाना।
ओजित-वि० [सं० त्रि०] दे॰ "प्रोजस्वत्"। जब भोज का पतन होता है, तब जोड़ों में ओजिष्ठ-वि० [सं० त्रि०] तेजस्वी । तेजधारी । विश्लेष, अङ्गों का थक जाना, दोषों का च्यवन | बलवान् । प्रभावशाली।
और क्रियाओं का अवरोध, ये लक्षण होते हैं। ओजस्विनी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] एक आयुर्वेदीय जब भोज बिगड़ जाता है, तब शरीर का रुकना, भारी होना, वायु की सूजन, वर्ण यानी रंग का ओजस्वी-वि० [सं० त्रि०] दे॰ “ोजिष्ठ"। परिवर्तन, ग्लानि, तन्द्रा और निद्रा, ये लक्षण ओजीतास-[२०] अरवी । घुइयाँ । होते हैं। जब भोज का क्षय होता है, तब मूर्छा, ओजीनिया-डैल्बजिआइडीज़-[ ले० ougeiniaमांस, क्षय, मोह, प्रलाप और मृत्यु.-ये लक्षण dalbergioides ] तिनिश । तिरिच्छ । होते हैं।
ओजीयस्-वि० [सं० त्रि०] तेजस्की । बलवान् । प्रोजबर्द्धक उपाय-जो पदार्थ हृदय को प्रिय |
प्रभावशाली। लगे तथा प्रोज को बढ़ानेवाला हो एवं धर्म | ओजोकेरीन-अं० Ozokerine ] पार्थिव मधूविदों के स्रोतों को प्रसन्न करनेवाला हो, यत्न | च्छिष्ठ । शम्ल अर्ज़ । मोम ज़मीन । पूर्वक उसका ही सेवन करना चाहिये। | ओजोदा-वि० [सं० त्रि०] अोज धातु प्रदान करने
अन्य छः उपाय-(१) किसी प्रकार की वाला। भी हिंसा न करना, (२) वीर्य की रक्षा, (३) ओजोन-संज्ञा पुं॰ [अं॰ ozone] कुछ घना किया विद्याविलास, (४) इन्द्रियों को स्वाधीन रखना,
हुआ अम्लजन तत्व । यह वर्णरहित और गन्ध (५) तत्वदर्शी होना और (६) ब्रह्मचर्य का | में निराले ढङ्ग का होता है। इसका घनत्व अम्लसदा पालन करना, इन्हें ही आयुर्वेदविद मुख्य जन से 3 गुना होता है । इसमें गंध दूर करने माने हैं । च० सू० ५ अ०।
का विशेष गुण है। गर्मी पाने से यह साधारण (२) प्रकाश । उजाला । (३) आतप।। अम्लजन के रूप में परिणत हो जाता है। वायु नोट-आजकल के कुछ विद्वान् इस शब्द में इसका बहुत थोड़ा अंश रहता है। नगरों की की तुलना में "विटामिन" शब्द का जो अँगरेज़ी अपेक्षा गावों की वायु में यह अधिक रहता है। भाषा का शब्द है व्यवहार करने लगे हैं। किंतु उक्त अधिक शीतल करने से यह नील के पानी के
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