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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपरोपा 'अगरांचा जातीय कृव से प्राप्त होता है और ब्राजील में! चिरकाल से कतिपय स्वरोगों में प्रयुक्त होना रहा है। इसके कुछ ही समय पहिले कलकत्ता के । डॉक्टर फेयरर ने सिरका या नीबू स्वरस संयुक्तः । गोश्रा पाउडर कल्क के प्राकृथित श्रौषधीय उपयोग विषयक गुण की और चिकित्सकों का ध्यान प्राकृष्ट किया। ऐसा प्रगट होता है कि उनके खेख ने डॉ० डा. सिल्वा लाइमा महाशय का भी ध्यान उक्र विषय की ओर आकृष्ट किया। माननीय ई० एम० होम्स ने बतलाया कि वह काठ जो गोमा पाउडर से प्राप्त होता है वह (Cesalpinia echinata, lian.) के बहुत समान है; परन्तु जे०एल० मेकमिलन ने बताया कि उक्त काष्ट से जल रञ्जित होजाता है और यह बात अरारोबा में नहीं है। सन् १८७८ ई० में सो० लीवरमैन तथा पो. सीडलर ने प्रगट किया कि क्राइसारोबीन ( ३० २५.) अभीतक एक अज्ञात यौगिक है तथा ऐटफील्ड द्वारा निवेदित नाम को ! ही मापने स्थिर रक्खा । सन् १८७६ ई० में अरारोबा का पात-स्थान एडीरा भराहोया ( Andira Araroba, Aguiar.) स्थिर किया गया। यह वाहिया के पात्र वनों में सामान्य रूप से होने वाला एक कृहत् वृक्ष है जिसे वहाँ के लोग ऐजेलीम अमर. गोसे (Angelim amargoso) कहते हैं। अरारोबा तने के छिद्रयुक खोखले भागों में रहता है। ये तने में चौड़ाई ( ग्यास ) की रुम्ब पार-पार तक रहते और सम्पूर्ण तवे के बीच प्रसारित होते हैं ।पानि-विधि-वृक्ष को काटकर तथा सने को चीर फाड़ कर खोखलों से प्रभारोबा चूर्ण को खुरप बेते हैं। इसे लकड़ी के टुकड़ों | या देशों मादि से स्वच्छ करके तथा शुष्क कर चूर्ण कर लेते हैं। ___ लाल -- यह एक सुरदरा पूर्ण अथवा सूक्ष्म । विस्म का है जो प्रारम्भ में हलका पीतत्रण। का, बस्तु प्रकाश एवं ममी में सुना रहने पर! मावत: गम्भीर बर्ष से मन्द पीस, पीत-भूसर या अम्बरी-धूमा प्रधना गम्भीर-मनी व का हो जाता है। स्वाद-तिक । (डाइमॉक) यह क्राइसारोबीन के निर्माण में प्रयुक्त होता है। यदि इसको उष्ण कोरोफार्म में मिलाया जाए तो क्रोरोफार्म द्वारा बाप उड़ जानेके पत्रात् उक चूर्ण में से न्यनातिन्यून १००% क्राइसारो. बीन प्राप्त होना चाहिए। क्रासारोबीन (Chrysarobin )-इं० । क्राईसारोबीनम् Chrysarovinnm-ले०। निर्माण विधि-परारोबा (गोया पाउडर) को उष्ण क्रोरोफार्म वा उष्ण वेशीन के साथ एक्सट्रैक्ट करके शुष्क होने तक वापीभवन किया कर इसे चूर्ण कर लें। रासायनिक संगठन (या संयोगी अवयव) इसमें (१) क्राइसारोबीन (१५७८२७ ३ ) जिसको रहीईच या क्राइसोनीन भी कहते हैं। (२) क्राइसोफेनिक एसिड, अवस्था और दशानुसार यह न्यूनाधिक होता है। प्रोपजनीकरण क्रिया द्वारा अधिक क्राइसोफेनिक एसिड प्राप्त मुलेन ( Allen) के मतानुसार क्राइसोफेनिक एसिड, एसिर और क्राइसारोबीन का एक अनिश्चित मिश्रण है। इसमें विकरिक एसिड तथा अन्य पीत रक पनार्थ का मिश्रण किया जाता नोट-अरारोवा या गोत्रापाउडर से १५ से ८० प्रतिशन और औसतत् .1 प्रतिशन् काह. मारोत्रीन प्राप्त किया जाता है। - लक्षण-काइसाबोधीन एक स्फटिकवत् पीत वर्ण का चूर्ण है जो गंधरहित और अल में अधि. लेय होने के कारण स्वाद रहित होता है। . घुलनशीलता--यह जब में लगाम अविलेप, मचसारमें कुछ कुछ विशेष तथा एमालिकमलकोहल, ईभर, कोसोडियम तथा क्रोसोफार्म में पूर्णतः विलेय होता है। ३२३.६ मारनहाइटके उत्ताप पर पह पिघा जाता है और मक्तब भा हाताहर For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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