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अंकलाकरा
অান্ধয়া कुचल कर शामक रूप से शिर में लगाते हैं। अकल्यः kalyah-सं० त्रि० रुग्ण, रोगी । मदन (Milken) के कथनानुसार कन्ल डिजीज़ ड ( Disasoil.), इल (III.) ई० (AKIN001) में बज्रबङ्ग नामसे उक औषध को ' अकल्याण Akalyāna-हिं० वि० [सं०] व्यवहार में लाते हैं। (स्टयुवर्ट)
. अमंगल, अशुभ, अहित । __ यह पौधा ५ से १५ ग्रेन (२॥ से ७॥ रत्तो) अकालः akallah-सं० पु० अकरकरा (1yrकी मात्रा में विषम ज्वरों में उपयोग किया thrum Radix.) अ० टो० वा० । वै० जा सकता है। (डाइमांक)
निव०२ मा० वा व्या० । ___ ग्रामवान (गया) में औषध रूपसे इसका अकल्लकः akallakah-सं० पु. अकरकरा अवसादक प्रभाव होता है । क्वाशिया (PST: thun Radix.) (Ritussja) के समान इसकी छाल में एक अकवारakuvar-हिं० पु० कुक्षि, कोख, गोद, तिक सत्य हेरता है। वैट)
यजम (Busom.)-ई। पौधे का शीतकवाय कंऽताला, हि सहित श्रकशakash अ० बालोंका उलझना, गुथजाना, विषम ज्वर तथा कं व वायु प्रणालियों की
घरवाले केश । कर्ड हेयर (Curled hair.) श्लप्मिक कलाश्री के प्रवाह में व्यवहार किया जाता हैं। इं० मे० मे०।
अकसा akasi-iहं० पु० अकरा। वायु प्रणालीस्थ प्रदाह में श्लेष्मनिःसारक रूप : अकसीर akasira-हिं० संज्ञा स्त्रां० [अ०] में और दंत रोग में इसका स्थानिक प्रयोग । देखा-अक्सीर।
किया जाता है । ( लन्दन प्रदर्शिनी १८६२) अका aari-अ० ज्वर के कारण मुख का स्वाद अकलाकरो kalakari -कना० अकर. बदल जाना, रोग से अन्न जल का धुरा लगना। अकलाकरी askākuti) कंग-हिं० । अकारकरभःKakuta bhah-सं० पू०
(Pyrethrum Rallis. ) Filo or TFTFCT ( Pyrethrum Radis,
स० फा० ई० । अकलं क aktlanka-हि०वि० [सं०] [संज्ञा ! अकाकरा akakira-हिं. करैला, काकरा
अकलंकता वि. अकलंकित ] दोप रहित । (Mooli Chalalntia, Linn.) निदोष, बेदाग ।
| अकाका qatja-मि० एक मिन देशीय वृक्ष अकलंकताkalankati-हि संज्ञा स्त्री केफल हैं।
[सं.] निदोपता, सफाई, कलंकहीनता। अकाकालिस jagalis-यु. चाकसू (१) अकलंकित akulankita-हि० वि० [सं०] Cassian absli | फा० इं० १मा०।
निकलक, निदीप, ये दारा, साफ, शुद्ध । अकाकिया qasiya-० यह यूनानी शब्द अकरक akulkit- वि० (IT: Fory.
प्रकाकिग्रा (akakia) से भरा बनाया गया Stadiun Int, it.) जलरहित, स्वच्छ ।।
है। युनानी भाषा में श्रकाक्रिया कीकर को कहते अकल्का talki-
हिरो० (Moon light) है; किन्तु प्रामाणिक एवं विश्वस्त अरबी तथा उपेन्सना, चाँदनी।
फारसी तिब्बी ग्रन्थों के मतानुसार यह एक सस्व अकल्पन alkalpit 11--हिं० सचाहट, प्रकृत, सत्य, है जो कज (यह मिश्र के एक कण्टकयुक्र वृक्ष
यथार्थ, वास्तविक । रीअल ( Real)-501 का फल है, जो कीकर का एक भेद है; कीकरकी अकल्मप akathashia-हिं० वि० [सं०] फलियों से जो सत्व बनाया जाता है उससे भी ये निर्विकार निदोष, पाप रहित, बे ऐब।
ही प्रभाव प्रगट होते हैं।)के रस से तैयार किया
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