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अकार की धार्मिक नति
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नै क्या अपराथ किया है । इसके अतिरिक्त सैनिक लोग सोम वश गांवों को आमण करके लूट लिया करते थे । जब इस विषय में आदेश दिया गया तो यह प्रथा बन्द हुई । ७ इस प्रकार युद्ध वन्दियों को स्वतंत्रता पूर्वक अपने घर और परिवार वालों के पास जाने की अनुमति दे दी गयी ४ तीर्थ - यात्रा कर का निषेध -
भारत वर्ष में शासक लोग उन हिन्दुओं से कर लिया करते थे, जो । पवित्र स्थानों की यात्रा करने के लिये जाते थे । यह कर यात्रियों के धन
और पद के अनुसार लिया जाता था और कर्मी कलाता था । अनुल फजा के अनुसार इससे करोड़ों रुपयों की बामदनी होती थी । सन् १५६३ में अकबर चीता के शिकार के लिये मथुरा गया । जब वह अपने कैम्प में था तो उसे बताया गया कि जो हिन्दू यात्री यहां जाते हैं उनसे यात्रा कर लिया जाता है और यह तीर्थ यात्रा कर अथवा की हिन्दुओं के सभी पवित्र स्थानों पर तीर्थ यात्रियों से लिया जाता है । यह अनुक्ति और बन्याय युक्त था । अकबर ने अनुभव किया कि हिन्दुओं की बाराथना - करने के ढंग पर उनमै घन मांगना या उनकी वाराथना में रूकावट डालना अनुचित है । बादशाह ने अपनी बुद्धिमत्ता और उदारता से प्रेरित होकर यल कर बन्द कर दिया । उसने समझा कि इस प्रकार का संग्रह करता - पाप है । अकलर ने कहा" जो लोग अपने सृजनकर्ता ईश्वर की पूजा के लिये तीर्थ स्थानों पर एकत्रित होते हैं, उनसे कर वसूल करना ईश्वर की इच्छा के सर्वथा विरुद्ध है, चाहे उनकी पूजा की विधी पृथक ही क्यों न हो । फल स्वरूप अकबर ने अपने सम्पूर्ण साम्राज्य में तीर्थ - यात्रा कर वसूर न करने के आदेश प्रसारित कर पिये।"८ पिछले समय में लोम या • - - - - - - - • • • • - - - - - - - - - - - - - - - - ७ अकबर नामा - हिन्दी अनुवादक - मथुरालाल शर्मा पृष्ठ २२१ ८ . Akhamama. Vol. II. 190.
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