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________________ www.kobatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मकबर की धार्मिक नीति शेखो, मौरवियों, मुफ्तियाँ वादि को थामिक विचार विमर्श बोर वाद विवाद के लिये आमंत्रित किया, जिससे वह इलाम धर्म का अधिक ठीक ज्ञात प्राप्त कर सकें । " १७ बहुत बड़े बड़े विद्वान मौलवी वादि तथा कुछ थोड़े से उनै हुए मुसाहव वहां रहते थे । इनमें मखदूम - उल - मुल, बब्दुन्नबी, काजी याकूब, मुल्ला, बदायूंनी बाजी इब्राहीम, शेख मुबारक, बकुछ फका काजी लालुद्दीन वादि प्रमुख थे । इस इबादत खाने में ईश्वर और धर्म - सस्वन्धी बाते होती थी । परन्तु विद्वानों की मण्डली भी कुछ लिसण! हुआ करती है । वहां धार्मिक वाद विवाद तो पीहे होगे, पाछे छन । के सम्बन्ध में ही कगड़े होने लगे कि अमुक मुझ से ऊपर क्यों ठा है और में उससे नीचे क्याँ काया गया ? इस लिये इस सम्बन्ध में यह नियम ना! की अमीर लोग पूर्व की ओर, सैयद लोग पश्चिम की बोर, विदान बादि। दपिाग की वीर तथा त्यागी त फकीर जादि उत्तर की और बैठे 118 प्रत्येक शुक्रवार की रात को बादशाह इस सभा में स्वयम् जाता था । वह वहां के सभा सदा से वातालाप करता था और नई - कई बातों से अपना ज्ञान भण्डार बढ़ाता था । पर बड़े दुख की बात है कि जब मसजिदों के मूर्खा को बढ़िया बढिया पोजन मिलने लगे और उनके हौसले बढ़कर उनकी हज्जत होने लगी तब उनकी बातों पर चर्वी श गई । सब वापस में झगड़ने लगे । पहले तो केवल कोलाहल होता था, फिर उपद्रव भी होने लगे। अकबर के दरबार में रहने वाला कटटर मुसलमान बदानी यसै सभा में बैठने वाले मौलवियों में जो फगड़ा होता था उसके लिये लिखता है कि -" बादशाह अपना बहुत ज्यादा वक्त बावत खाने में शखो बार विद्वानों की संगति में रह कर गुजारता था । खास तौर पर शुक्रवार की रात में - जिसमें वह रात भर जागता रहता था • किसी मुख्य तत्व की या किसी अनान्तर विण की चर्चा करने में निमग्न रहता था । उस समय विद्वान 1 और शेज, पारस्परिक विरुदौक्ति और मुकाबिला करने की रण • भूमि 178A-Badao 1 Trans. by healtore.vod.In...20arriom For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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