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अक्र
की धार्मिक नीति
स्तम्म थे । भगवन्त दास, मानसिंह, टोडरमल, बीरबल, जान्नाथ कावाह, पार्धासिह बादि इनमें प्रमुख थे । मानसिंह अकबर के सेनापतियों में प्रमुख था तथा अकबर के दरबार के नवरा में से एक । वृन्दावन में उसने को गोविन्द देव का मंदिर बनवाया वह उसकी धनिष्ठा का ज्वलन्त उदाहरण है। प्रशासन में उसने अकबर को उदार नीति अपनाने का परामर्श दिया । ऐसा माना जाता है कि बज्यिा तथा वन्य अवांशीय करों की समाप्ति करवाने में मानसिंह का हाथ था । इसी तरह टोडरमल मी बड़ा ही प्रतिभावान और धर्मनिष्ठ व्यक्ति था । वह हिन्दू धर्म का कटटरी अनुयायी था । मध्य युग के मुसलिम शासन में ऊंचे पद पर रहते हुए वार दरबार में महत्व शाली कार्य करते हुए पी टोडर मरु नै अपने हिन्दू धर्म को अपनाये रखा, अपने पूजा - पाठ, मान चिन्तन, धार्मिक माचार - विचार आदि को बनाये रखा । बीरक अकबर का अनन्य मित्र, अत्यधिक कृपापात्र, परामर्श दाता चौर साथी था । बदायूंनी व मौलाना मुहम्मद हुसैन बादि इतिहास कार मानते है कि अकबर बीरकल के प्रभाव से ही सूर्य । के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने लगा था । इसी प्रकार जगन्नाथ - कछवाहा तथा भगवन्त दास आदि हिन्दुओं ने भी अकबर के विचारों को प्रभावित किया । इ-न हिन्दुओं ने न तो अपना धर्म शेड़ा और न ही रीति - रिवाज, बल्कि अकबर को अपने में से प्रभावित किया । अकबर पर तो हिन्दुओं के धार्मिक विचारों का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही था.! क्योंकि हिन्दु तो उसके चारों और इस प्रकार थे जैसे कि श्वास • वायु ।। १० अकबर की राजनैतिक महत्वाकांक्षार -
जिस समय अकबर गददी पर बैठा उस समय सारा राज्य असंगठित व अव्यवस्थित था । उसके पास कोई स्थाई सेना भी नहीं थी। अकबर की महत्वाकांता क सुसंगठित, सुव्यवस्थित व स्थाई राज्य स्थापित करने की थी । बाल फजल के अनुसार अकबर की विजय नीति का उहङ्य स्थानीय :
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