________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अकबर की धार्मिक नीति
वात जीवन वीर मृत्यु के गढ़ रहस्यों को भी जानने का प्रयास करता था। यौवन के बारम्प से ही अकबर जानना चाहता था कि ईश्वर और मनुष्य का क्या सम्बन्ध है ? बार इस विषय के समस्त प्रश्न क्या क्या है ? वह कहता था" दर्शन शास्त्री का मुक पर जाका सा असर होता है कि बन्य सब बातों को छोड़ कर में इस विचार की बोर फक जाता चार मुफे बावश्यक कामाँ की अपेक्षा करनी पड़े ।"१ अकबर का - विचार शील मन कमी पी यह स्वीकार करने को तैयार नही था कि.. केवर इस्लाम धर्म ही सच्चा की है। उसकी इस जिज्ञासु बार सत्यान्वेगण की वृत्ति, उसके गहन वाध्यात्मिक चिन्तन और मनन तथा उसकी ! नवीन विधार पारावों ने उसे इस निष्कर्ग पर ला दियाकि प्रेम, उदारता क्या व सहिष्णुता के सिद्धान्त ही सत्य के तत्व है, अबुल फळ लिखता कि जीवन भर उसकी खोज बीन का यह परिगाम ना कि अकबर विश्वास करने लगा था कि सभी माँ मैं समझ पार लोग होते है और वे स्वतंत्र विचारक मी होते है ------ सत्य सभी पा में है वो यह समझना मुल कि सच्चाई सिर्फ इस्लाम थीं तक है जब कि इलाम धर्म अपेक्षा वृत नवीन जिसकी आयु केवल हजार वर्ण की ही होगी १४॥ अकबर को विश्वास हो गया था कि विविथ था तथा सम्प्रदायों से परे: हुए उसके विशाल सामाज्य में प्रेम, उदारता, व सहिष्णुता के सिद्धान्त ही शान्ति ला सकते है। ६. अकबर का हिन्दु अधिकारियों से सम्पर्क बार उनका प्रभाव -
-
-
-
-
-
-
अकबर की राजसभा और प्रशासन में व सैना में अनेक हिन्दू विकारी और सेनानायक थे । राजपूतो का तो यह समझो कि उसके साम्राज्य के
13. Ain-1-Akbari Vol. III Trans, by 8.5. Jarrett,P.433 1+ Ain-1-Akbarn Vol. I P. 179.
For Private And Personal Use Only