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अकबर
की धार्मिक नीति
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के प्रति रूचि उत्पन्न हुई और वह ताड़ी पीने लगा पर प्रौढावस्था में ताड़ी पीना छोड़ दिया । अयबर अफीम के निद्राकारी नियोजन को व पसंद करता था, अफीम की बनी हुई कई बीजे खाता था परन्तु प्रौढावस्था में उसने मपान त्याग दिया । यवपि अकबर के समय मैं तम्बाकू और हुक्के का प्रचार व्यापक रूप से हो गया था पर वह स्वयं तम्बाकू नहीं पीता था । अकबरफलों का शौकीन था | Jahangir says: Akbar had a great liking for fruit, especially grapes, melons and pomegranates, and was in the habit of eating! it whenever he indulged in either vine or opium. "6
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अकबर विनोदी स्वभाव का प्रसन्नचित्त वाला व्यक्तिा था । मधुरवचन बोलना उसका स्वभाव था । अहंकार तथा दृष्य से उसे घृणा थी । वह एक मिलन सार नरेश था और छोड़े बड़े सभी व्यक्तियों से मिलता था । वह अपने सद्व्यवहार और मधुर स्वभाव के कारण अपने बमीरी, सामन्ती, दरबारियोतथा प्रजाजनों में अत्यन्त लोकप्रिय था । इस विशेषता के कारण सभी उसके प्रति श्रद्धा रखते थे । उसके व्यक्त्वि एक खास गुण यह था कि वह अपना काम मीठा बन कर निकालने का ही प्रयत्न करता था । वह मानता था कि कार मीठी दवा से रोग मिटवा हो तो कड़वी दवा का उपयोग नहीं करना चाहिये । इसी नीति के व्याश उसने अनेक राज्यों वीर वीरों को अपने अधीन कर लिया था । उसका व्यवहार उच्च कोटि का था और वह सदा न्याय का पदा ग्रहण करता
था ।
6 Turuk-1-Jahangir Translated by Rogers and Beveridge Vol. I P. 270- 350.
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