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में कोई स्सी लोगोफारी कार्य नहीं किये जिससे माता पर उनका प्रभाव पड़ा हो और उन्हें मता का सौहाई मिला हो । अत: इस नवीन स्थापित मुगल साम्राज्य की सुरक्षा के लिये क बावश्यक था कि सभी वा का साम्राज्य को सहयोग मिले । इस आवश्यकता की पूर्ति के लिये अकबर नै निष्पा हो सभी वाँ के साथ समावना की नीति अपनाई । बार्मिक पक्षापात को त्याग कर सब को अपने - अपने का पालन करने की स्वतंत्रता दी गई । अन्य को पर लगे मेक सुचित प्रतिवन्ध हटा दिये ।। साम्राज्य के उच्च पदों पर मिा किसी भेद • भाव के नियुक्तियां की गई । इससे प्रभावित हो सभी वर्गों ने साम्राज्य को दृढ बनाने के लिये सहयोग दिया । इस प्रकार अकबर की उदार धार्मिक नीति से नवीन स्थापित मुगल साप्राज्य की बावश्यकता की पूर्ति हो सकी । ६. उल्मार्वा की शक्ति, प्रभाव बार अधिकार का छास :
अकबर बारा तवा पढ़ने, महजर या अप्रांत वाज्ञा पत्रपौगित करने तथा दीनालाही स्थापित करने से सपा, शो बार मुझ-1 मुल्लाओं के अधिकार कम हो गये थे, उनकी शक्ति सीण हो गई थी और प्रभाव नगण्य हो गया था । उल्माओं के प्रति लोगों की का, पक्ति और सम्मान कम हो गया था । उल्मा वर्ग के कुछ प्रभाव शाठी व्यक्ति जो प्रशासन में नियुक्ति क्येि गये थे, उनके पदों से पृथक कर दिये गये क्योंकि उनके विरुद्ध प्रष्टाचार व गबन के बारोप थे । इससे राजनीति बार प्रशासन में उनका प्रभाव लुप्त हो गया था। इससे प्रशासन वोर न्याय व्यवस्था में उला वर्ग हस्तपोप नही कर सका तथा प्रशासन शांति पूर्ण, निष्पा एंव व्यवस्थित रहा । जहां विभिन्न , सम्प्रदाय: वीर वर्ग संघर्ग रत थे, वहां पीन लाही नै बल्प काल के लिये समी • धमाकम्वियाँ और वर्षों के लोगों को एक सूत्र में बांध दिया । मुल्ला की मान्यता से मुक्त होकर अकबर ने और पी वाि पार्मिक उदारता
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