________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास २६२ राजधानी महेरा थी, जो गर्रा नदी के तट पर स्थित थी। कहते हैं, कि एक झगड़े में गूगा ने अपने दो भाइयों को कतल कर दिया। इससे उसकी माता बड़ी क्रुद्ध हुई । माता के क्रोध से बचने के लिये वह जंगल में भाग गया। वहां उसने चाहा, कि जमीन फट जावे, ताकि वह उसमें समा जावे । पर इसी बीच में आकाश वाणी हुई—'जब तुम कलमा पढ़कर मुसलमान हो जाओगे, तभी तुम्हारी इच्छा पूर्ण होगी।' गूगा कलमा पढ़कर मुसलमान हो गया। उसके कलमा पढ़ते ही जमीन फट गई, और वह उसमें समा गया।
कुछ की सम्मति में गूगा पृथिवीराज का समकालीन था। जब मुहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किये, तो उसने उसका वीरता पूर्वक सामना किया। पर पंजाब में प्रचलित गीतों के अनुसार उसे महमूद गजनवी का समकालीन मानना अधिक उपयुक्त होगा। इन गीतों में बड़े विस्तार के साथ यह गाया जाता है, कि किस तरह गूगा अपने पैंतालीस लड़कों और साठ भतीजों के साय महमूद गजनवी से लड़ते हुवे युद्ध में मारा गया । यह युद्ध गर्रा नदी के तट पर हुवा था। वहीं पर गूगा की समाध भी पाई जाती है। यह समाध हिसार के दक्षिण पश्चिम में ददरेरा नामक स्थान से बीस मील की दूरी पर स्थित है। यहीं पर गूगा की पूजा के लिये भाद्रपद मास में मेला लगता है। दूर दूर से लोग इकट्ठे होते हैं । अग्रवाल लोग गूगा को बहुत मानते हैं, इसलिये वे विशेष उत्साह से इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
गूगा हिन्दू और मुसलमान-दोनों के लिये समान रूप से पूज्य है । भारत में ऐसे देवी देवता बहुत कम हैं, जिन्हें हिन्दू और मुसलमान
For Private and Personal Use Only