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फुटकर टिप्पणियां दोनों मानते हों । गूगा इनमें मुख्य है । हिन्दू उसे नागराज का अवतार मान कर उसकी पूजा करते हैं, और मुसलमान जाहिर पीर समझकर उसे मानते हैं । इतिहास में गूगा का क्या स्थान है-यह निश्चित कर सकना बहुत कठिन है, उससे सम्बद्ध किम्बदन्तियां एक दूसरे से बहुत ही भिन्न हैं । पर अग्रवालों में जो उसका इतना अधिक सम्मान है, उसके दो कारण हो सकते हैं । पहला यह, कि अग्रवालों में नाग पूजा प्रचलित है। नागों का अग्रवालों के साथ घनिष्ट सम्बन्ध है। नाग पूजा की परम्परा मध्यकाल में अनेक भिन्न धाराओं में प्रचलित हुई। इनमें से एक लोकप्रिय धारा गूगा की पूजा के रूप में है। सम्भवतः, 'गूगा की अग्रवालों में जो पूजा होती है, इसका कारण यह है कि गूगा नागराज का मध्यकालीन रूपान्तर है । दूसरा कारण यह हो सकता है, कि जैसा हम ऊपर लिख चुके हैं, गूगा एक चौहान राजा था, जो हिसार के समीप महेरा में राज्य करता था । महमूद गजनवी के साथ वह बड़ी वीरता से लड़ा, और जनता में एक वीर के समान पूजा जाने लगा। अग्रवाल लोग उसी प्रदेश के निवासी थे, अतः उनमें गूगा की वीरता की स्मृति बड़े प्रबल रूप में कायम रही-और जब गूगा का रूप केवल एक वीर राजा का न रहकर दैवी हो गया, तो अग्रवाल लोग भी उसे देवता के समान पूजने लगे। 1. गूगा के सम्बन्ध में आधक जानने के लिये निम्नालीखत पुस्तकों को देखिये1. L. Ibbotson, Panjab Castes. 2. R. V. Russel, Tribes and Castes of the Central Provines.
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