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मध्यकाल में अग्रवाल जाति बादशाह मुहम्मदशाह के शासनकाल में ही सैयद बन्धुओं का पतन हुवा । किस प्रकार सैयदों की शक्ति क्षीण हुई, और उनके शत्रु प्रबल होगये- इसका वृत्तान्त लिखने की यहां कोई आवश्यकता नहीं । सैयदों के पतन के साथ रतनचन्द का भी पतन हुवा । नये वज़ीर मुहम्मद अमीन खां की आज्ञा से उसे गिरफ्तार किया गया और प्राण दण्ड मिला । रतनचन्द ने अन्त तक सैयदों का साथ नहीं छोड़ा। सैयदों के खज़ाने का पता लगाने के लिये उसे अनेक कष्ट दिये गये, पर वह किसी भी तरह खजाने का पता बताने के लिये तैयार न हुवा। ___ इसमें सन्देह नहीं, कि मुग़ल बादशाहत के काल में जिन हिन्दुओं ने उच्च पद प्राप्त किये, उनमें रतनचन्द अग्रवाल का स्थान बहुत ऊंचा है। फकरुद्दीन खां ने उसकी तुलना.जो हेमू के साथ की थी, वह ठीक ही है ।
(William Irvine के Later Mughals के आधार पर )
लाला अमीचन्द ईस्ट इन्डिया कम्पनी ने जब बंगाल में अपनी शक्ति का विस्तार शुरू किया, तो जिन भारतीयों ने उसे सहायता दी, उनमें लाला अमीचन्द का नाम अत्यन्त प्रसिद्ध है। लाला अमीचन्द के पूर्वज दिल्ली के रहने वाले थे, और मुगल बादशाहत से इनका घनिष्ट सम्बन्ध था। अब से करीब तीन सौ वर्ष पूर्व इस परिवार में राय बालकृष्ण नामक एक बड़े प्रसिद्ध पुरुष हुवे थे । राय बालकृष्ण के पुत्र लक्ष्मीराय और उनके पुत्र गिरधारीलाल हुवे । सन् १९३८ में जब बादशाह शाहजहां के पुत्र
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