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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
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शाहशुजा बंगाल के सूबेदार होकर बंगाल आये, तो यह परिवार भी उन
के साथ बंगाल आया और वहीं बस गया जब बंगाल के नवाबों की राजधानी राजमहल से हट कर मुर्शिदाबाद चली गई, तब यह परिवार भी मुर्शिदाबाद जा बसा । इन दोनों स्थानों पर इस परिवार के विशाल खण्डहर अब तक विद्यमान हैं । इस परिवार में सब से प्रसिद्ध व्यक्ति लाला अमीचन्द हुवे | जब बंगाल में अंग्रेजों का प्रभुत्व फैलने लगा, तो उन्होंने अंग्रेजों की सहायता की, और बंगाल की नवाबी नष्ट करने में योग दिया । अंग्रेज लोग जो बंगाल पर अपना कब्जा कर सके, उसमें लाला अमीचन्द का भी बड़ा हाथ था ।
अठारहवीं सदी के शुरू में कलकत्ता की स्थापना हुई थी । लाला अमीचन्द, जो अत्यन्त चतुर और चाणाक्ष व्यापारी थे, नये अंग्रेज व्यापारियों के साथ व्यापार करने से अधिक लाभ की सम्भावना देख कर कलकत्ते आ बसे थे । इन्होंने कलकत्ते में बड़े बड़े राजमहल बनवाये । 'इनकी अनेक प्रकार से सुसजित विशाल राजपुरी, पुष्प वृक्षादि से सुशोभित विख्यात उद्यान, मणिमाणिक्यादि से परिपूर्ण राज भण्डार, सशस्त्र सैनिकों से भरा हुवा सिंहद्वार तथा अनेक विभाग के असंख्य सैनिकों की भीड़ देखकर लोग इन्हें केवल व्यापारी महाजन न समझ कर राजा मानने लगे थे ।' इनका सम्मान इतना था, कि इनके नौ पुत्रों में से तीन को राजा की और एक को रायबहादुर की पदवी मिली थी । अंग्रेज लोग बंगाल से अपरिचित थे, अतः उसमें आन्तरिक व्यापार बढ़ाने के लिये, अमीचन्द पर ही उन्होंने पहले पहल विश्वास किया और इन्हीं के सहयोग से गांव गांव में दादनी ( अगाऊ) बांट कर कपास
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