________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
नन्नूमल ने वहां पटियाला का आधिपत्य स्थापित किया। इसी बीच में सरदार हरिसिंह ने पटियाला के महाराज अमर सिंह के विरुद्ध बग़ावत की । इसे दबाने के लिये दीवान नन्नूमल गया और सफलता पूर्वक हरिसिंह को परास्त किया ।
दिल्ली के बादशाह का प्रधान मन्त्री इन दिनों नवाब मजदुद्दौला अब्दुल अहद था । वह बड़ा महत्त्वाकांक्षी था। उसने दिल्ली की बादशाहत की शक्ति की पुनः स्थापना के लिये पटियाला राज्य पर आक्रमण किया। पटियाला से १६ मील की दूरी पर घराम नामक गांव में दीवान नन्नूमल ने उसका सामना किया और अपने राज्य की दिल्ली की बादशाहत से रक्षा की।
सन् १७८१ में पाटयाला के महाराज अमरसिंह की मृत्यु हो गई । उनका लड़का साहिबसिंह केवल ६ वर्ष की आयु का था । पटियाला के सिक्ख राज्य की स्थापना जिन परिस्थितियों में हुई थी, उनमें राज्य को संभाल सकना किसी बहुत ही योग्य व्यक्ति का काम था। र नी हुक्मां की प्रेरणा से इस समय दीवान नन्नूमल पटियाला का प्रधान मन्त्री ( वजीर ) बना। निःसन्देह, उससे अधिक योग्य और कुशल व्यक्ति पटियाला राज्य में अन्य कोई न था । साहिबसिंह के गद्दी पर बैठते ही चारों तरफ विद्रोह की ज्वालायें भड़क उठीं। इनमें तीन विद्रोह बड़े प्रसिद्ध हैं । पहला विद्रोह भवानीगढ़ के सूबेदार सरदार महानसिंह के नेतृत्व में हुवा । इसे दीवान नन्नूमल ने बड़ी वीरता के साथ दमन किया। दूसरा विद्रोह कोट सुमेर में शुरू हुवा। अभी नन्नूमल इसे दमन करने में लगा था, कि सरदार श्रालासिंह के नेतृत्व में तीसरा
For Private and Personal Use Only