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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास लिए अमृतसर की सर्वथा अप्रसिद्ध धेनु जाति या बीकानेर की धारणिया जाति को खोजने की आवश्यकता नहीं है। धारण-गोत्रीया प्रभाकर गुप्ता का विवाह जिस कुमार से हुवा था, उसके वंश को भी वैश्य कहा गया है, उसका वैश्य धारण गोत्र की कुमारी से विवाह होना अधिक संगत है, छोटी जाति की कुमारी से नहीं। ___ गुप्त सम्राटों ने अपनी जाति को छिपाया है, यह कहना शायद उचित नहीं है । सम्भवतः, अपने वंश के सम्बन्ध में सब से अधिक स्पष्ट रूप से उन्होंने ही सूचना दी है । धर्म ग्रन्थों के आदेश 'गुप्तेति वैश्यस्य' का अनुसरण करते हुवे उन्होंने 'गुप्त' शब्द का अपने नामों के साथ प्रयोग किया है। धर्मस्मृतियों के निर्माण का समय भी ऐतिहासिक लोग प्रायः गुप्त काल को मानते हैं । जिस काल के धर्मशास्त्र प्रणेता यह व्यवस्था कर रहे हों, कि वैश्य लोग अपने नाम के साथ गुप्त लगावें, उसी काल के परम धार्मिक वैष्णव सम्राट् 'जाट' होकर अपने साथ 'गुप्त' प्रयुक्त करें, यह कुछ असंगत प्रतीत होता है। ___कौमुदी महोत्सव के चण्डसेन की चन्द्रगुप्त से एकता कहां तक उचित है, यह भी संदेहास्पद है । पर इसे मान भी लें, तो चण्डसेन का जाट होना इस ग्रन्थ से सूचित नहीं होता। 'कारस्कर' शब्द का प्रयोग कौमुदी महोत्सव में घृणा को सूचित करने के लिए हुवा है, ठीक उसी तरह जैसे उसी ग्रन्थ में लिच्छवियों को ग्लेच्छ कहा गया है । क्या हम यह समझे, कि लिच्छवी लोग म्लेच्छ थे, क्योंकि कौमुदी महोत्सव ने उन्हें घृणार्थ में म्लेच्छ कहलाया है ? इसी तरह केवल कारस्कर कह देने से ही चण्डसेन का उस जाति का होना सूचित नहीं
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