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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास २१४ बारहमी भान रक्षा करे तेरवा रतन चौदा तूं राजेश्वर पंदरसौ पखरेत सोलहवीं कला जलन्धर सिंहासन सत्ता तुरी अठारह भार वनस्पति उनीसा पर बीश हो राजा अग्रसेन को प्रकाश ।
अग्रसेन के द्वादश पंच पुत्र घर बासक ब्याहन प्राय किरोड सजे गजराज किरोड लख चले पैदल राजा बांसुक घर माडवा वाण शीश न छाबिये अग्रसेन के वंश ने किये पूज्यं भाट बभूतिये बार शनिश्चर पञ्चमी पहला पक्ष शहर जो कहिये अग्रोहा जाती सूरज भरत है सक्ष वाय बनी चौबीस ताल छतीस बंधाय कूप एकसौ आठ तासु फिरत दुहाई चार किले चौफेर बने बारह दरवाजे हाट बीस हजार बजे छत्तीसो बाजे दातार इते दुनिया में सात करोड दतव दिया जिन पूज्या भाट बभूतिया मङ्गल विन्दल गोत्र ढेलण सिंहल सर्व देशा जित्तल मित्तल गोत्र तुंगल तायल धर्मधारी मङ्गल गोत्री मोहना सिंहल गोत्र सपूत गर्ग गोत्री घोड़ा देवे मलकन जात
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