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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास १८४ ग्रन्थ में जो नाम पाये जाते हैं, वे यदि किसी सत्य अनुश्रुति पर आश्रित हों, तो कोई विशेष आश्चर्य की बात नहीं ।
महालक्ष्मीव्रतकथा में राजा अग्र के जीवन चरित्र का वर्णन करते हुवे कुछ तिथियां दी गई हैं, वे महत्व की हैं
१...राजा अग्र ने मार्गशीर्ष मास में लक्ष्मी पूजा की। लक्ष्मीव्रत मार्गशीर्ष प्रथमा से मार्गशीर्ष पूर्णिमा तक रखा गया । पूर्णिमा के दिन देवी महालक्ष्मी प्रगट हुई।
२-एक अन्य स्थान पर फिर लिखा है, राजा अग्र ने अग्रहण ( मार्गशीर्ष ) मास में लक्ष्मी की पूजा कर हरि मन्दिर को प्राप्त किया। इससे सूचित होता है, कि लक्ष्मीपूजा का मास मार्गशीर्ष है, और मार्गशीर्ष पूर्णिमा का अग्रवालों के इतिहास में विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन देवी लक्ष्मी का वर राजा अग्र को प्राप्त हुवा था।
३-वैशाख मास की पूर्णिमा को राजा अग्रसेन ने अपने ज्येष्ठ पुत्र विभु को राजगद्दी पर बिठाकर स्वयं तापस जीवन का प्रारम्भ किया था। ____ हमारे इतिहास के लिये जो संस्कृत पुस्तकें मिलती हैं, उनमें राजा अग्रसेन के जीवन के साथ केवल दो तिथियों का सम्बन्ध है, मार्गशीर्ष पूर्णिमा और वैसाख पूर्णिमा । दोनों ही तिथियां महत्व की हैं । इनमें से कोई एक राजा अग्रसेन की जयन्ती को तिथि मानी जा सकती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व अधिक है, क्योंकि इसी दिन राजा अग्रसेन के भावी महत्व की नींव पड़ी थी, और उनके उत्कर्ष का वस्तुतः प्रारम्भ हुवा था।
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