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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
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पथि कोलपुरं दृष्ट्वा राजा यत्र महीरथः तन्देहे सर्वराजानो विवाहार्थ समागताः ॥१०१ सिंहासनस्थिताः सर्वे रंगभूमौ महोत्सवे अग्रोऽपि तत्र निवसल्लक्ष्मीवाचानुदीरितः ॥१०२ एतस्मिन्नन्तरे कन्या सर्वा ( १ ) वामलोचना जयमालामग्रग्रीवायाम् अर्पयामास प्रेमतः ॥१०३ नदत्सु राजतूर्येषु पश्यत्सु सर्वराजसु विवाह मकरोत् राजा वैशाखे मृगमाधवे ॥१०४ .........अददत् राजा गजाश्व रय भूरिश: पादाति दास दासीश्च स्वर्णरत्न परिच्छदान् ॥१०५ श्रादाय स गतो राजा सागरेव पयोनिधिम्
मार्ग में कोलपुर देखा, जहां कि महीरथ राजा था। उस के घर पर सब राजा लोग विवाह के लिए आए हुए थे । वे सब महान् उत्सव में रंगभूमि में ऊंचे ऊंचे सिंहासनों पर विराजमान थे। राजा अग्र भी वहां ही बैठ गया, जैसा कि उसे लक्ष्मी के वचन से प्रेरणा हुई थी। १०१-१०२ ___इस बीच में, सुन्दर प्रांखों वाली कन्या ने जयमाला प्रेम के साथ अग्र की ग्रीवा में अर्पित की । उस समय राजकीय तुरहियां बज रहीं थीं।
और सब राजा देख रहे थे । वैशाख मास में मृग ( नक्षत्र ) के समय राजा का विवाह हुवा । १०३-१०४
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