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. अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
१५० गया । पर पञ्जाब देर तक सिकन्दर के आधीन न रहा । चन्द्रगुप्त मौर्य
और आचार्य चाणक्य के नेतृत्व में पंजाब के विविध गणराज्यों ने विद्रोह किया और विदेशी शासन से स्वतन्त्र हो गए । पर जैसे कि ग्रीक ऐतिहासिक जस्टिन ने लिखा है, कि आगे चलकर इसी चन्द्रगुप्त ने जिन राज्यों को विदेशियों की दासता से मुक्त किया था, उन्हें अपने श्राधीन कर लिया और इस प्रकार वह स्वाधीनता का विधायक न होकर स्वयं सम्राट हो गया।
इसमें सन्देह नहीं कि आग्रेय गण मौर्य साम्राज्य के अन्तर्गत था। चन्द्रगुप्त और अशोक जैसे शक्तिशाली सम्राटों का साम्राज्य पश्चिम में हिन्दुकुश पर्वत माला तक फैला हुवा था । पर इस विस्तृत साम्राज्य में विविध गण व संघ-राज्यों की अन्तः स्वतन्त्रता कायम रही और सम्भवतः
आग्रेय गण भी नष्ट नहीं हुवा। अगरोहा का राजा दिवाकर जिसके विषय में यह किम्वदन्ती प्रचलित हैं, कि उसे श्री लोहाचार्य स्वामी ने जैनधर्म में दीक्षित किया था, संभवतः मागध-साम्राज्य का अधीनस्थ राजा ही था । भारतीय इतिहास में ईसवी सन् के प्रारम्भ होने से पांच सदी पूर्व से लगाकर ईसवी सन् के पांच सदी बाद तक का काल साम्राज्यवाद का काल है। इसमें शैशुनाग, नन्द, मौर्य, शुंग, कण्व, श्रान्ध्र, गुप्त आदि विविध वंशों के मागध-सम्राट भारत के बड़े भाग पर अपना एकच्छत्र साम्राज्य कायम रखने में समर्थ रहे । बीच में कुछ समय तक विदेशी कुशानों ने भी भारत पर शासन किया । मतलब यह है कि इस सुदीर्घ काल में भारत में छोटे गण-राज्य प्रायः शक्तिशाली सम्राटो 1. McCrindle, The Invasion of India by Alexander the Grent. p)- 3:27
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