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आचा०
सूत्रम्
थाय छे. ते आ प्रमाणे. में कयु अहि हुँकार शब्द वडे आत्माना उल्लेख करनार शब्द बडे विशिष्ट क्रियाना परिणाम हा 1 | आत्मा गताव्यो छे. ते नो आ भावार्थ छे. तेज हुँ' के जेनावडे में आ देहादिनी पहेला युवावस्थामा इन्द्रियने वश पडेला विषयरुपी विष बडे मोहित थएला अन्ध चित्तवडे ते ते अकार्यना अनुष्ठानमा तत्पर थइने मारे अनुकूळ कयु (मने गम्युं ते कयु) कयुं छे के.!
विहवाबले नडिएहिं जाई कीरति जोवणमएणं । वयपरिणामे सरियाइ ताई हियए खुडकंति ॥१॥ वैभवना अहंकार बडे नाचेला ( नाटक करेला ) ए यौवनना मद बडे जे जे कृत्यो करायां छे. ते वा बुट्टापामां याद आवीने हृदयमा शल्यनी माफक खटके छे. तथा में करायु एनावडे बीना माणसने आ कार्यमा प्रवर्ततो जोइने में मत्ति करावी. तथा करनारने आज्ञा आपी. आ प्रमाणे कर्यु' कराव्यु अने अनुमोबु ए भूतकाळ मूचक छे. अने करछ', कराचु छ', विगेरे वचनवडे वर्तमान काळ मूचन्यो छे. तथा करीश, करावीश, अने करनारने अनुमोदीश, ए वचनथी भविष्यकाळ सूचयो आ त्रण काळना | फरसवावाळा वचनबडे देह, इन्द्रिय, थी जुदो आत्मा भूत, वर्तमान भविष्य संबंधि काळ परिणाम रुपे आत्मानु अस्तित्वतुं नाणपणुं सूचव्यु छे. अने जाणपणुं ते एकांत क्षणिकवादीने के एकांत नित्यवादीने न संभवे तेथी आ वचनवडे तेमनुं खंडन कयु.
आत्मानु क्रियाना परिणामवडे परिणामपणु स्वीकार्य छे तेथी (क्षणिकवादी विगेरेनु खंडन थयु छे.) अने तेनाज अनुसारे संभव अनुमानथी अतीत अनागत भावोमां पण आत्मानु अस्तित्व जाणवू अथवा आ क्रिया पबंधना प्रतिपादनथी कर्मना उपादान। रुप छे. जे क्रिया छे तेनु स्वरुप बतावेलुं जाणवू. ॥ ६॥ इवे शिष्य प्रश्न पुछे छे के आटलीज क्रिया छे के बीजी कोइ छे तेने ४
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