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आचा०
॥ ४७ ॥
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अहिं आत्मा छे. एनाज घडे क्रियावादिओना बधा भेदो समाया अने आत्मा नथी, ए वचनवडे अ क्रियावादीओना मतोनो आनी अंदर समावेश करेलो छे. अने अज्ञानी तथा वैनयिकना बधा भेो तेमां समाता होवाथी समान्या छे. जैनेतरना भेदो भा प्रमाणे छे.
असिय सयं किरियाणं अकिरियवाईण होइ चुलसीई । अन्नाणिय सत्तट्टी वेणइआणं च बत्तीसा ॥ १ ॥ (१८०) भेद क्रियावादी भना छे अने अ क्रियावादीना ८४) भेद छे अने अज्ञानीना ६७) भेद छे. तथा विनयवादीओना १२, भेद छे.
जीव, अजीव, आश्रव, बन्ध, पुन्य, पाप, संवर, निर्जरा, अने मोक्ष ए नव पदार्थ छे ते स्व, पर, ए वे भेदधी तथा नित्य अने अनित्य ए वे विकल्प बढे तथा काळ नियति स्वभाव, इश्वर, अने आत्मा, ए पांच वधा साधे गुणतां ९४२२४५ = १८० भेद क्रियावादीना थवा आनु अस्तित्व माननारा आ प्रमाणे कहे छे.
(१) जीव स्वथी भने काळथी नित्य डे, (२) जीव स्वथी अने काळवी अनित्य छे (३) जीव परधी अने काळथी नित्य छे (४) जीवपरथी अने काळथी अनित्य छे. ए प्रमाणे काळना चार भेद थया, ए प्रमाणे नियति, स्वभाव, इश्वर, आत्मा विगेरेना चार चार विकल्प थाय, ते पांच चोकडां गणतां २०) थाय. आ जीव साये थया. आ प्रमाणे अजीवादी आठना भेदो लेवा एटले १८०) भेद पया. तेमां स्वयं एटले पोतानाज रुपवढे जीत्र के पण परनी उपाधिवडे हस्वपणा के दीर्घपणानी माफक नथी ते नित्य अने
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सूत्रम् ॥ ४७ ॥