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आचा० ॥ १५ ॥
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छे ते तेमांधी मळे छे, हवे आवास शब्द लखे छे, जेमां आवास लेवाय ते, तेना चार निक्षेपायां द्रव्य व्यतिरिक्तमां यानपात्र द्विपादि ( वहाण अने द्वीप डूबताने आधारभूत) भावश्वास ते ज्ञानादि छे, हवे आदर्श शब्द बतावे छे. जेम देखाय ते आदर्श, तेना नामादि चार निक्षेपाम, द्रव्यभ्यतिरिक्तमां, दर्पण, अने भावादर्शज्ञानादि पूर्वे फहेल ते छे, कारण तेनी अंदर कर्तव्यता दे खाय छे. हवे अंग बतावे छे. जेनामां प्रगट कराय ते अंग, तेमां द्रव्य निक्षेपायां व्यतिरिक्त शरीरमा अंग, माथु, भुजा, विगेरे लेवो. भाव अंग ते आ, आचारसूत्र छे. हवे आचीर्ग लखे छे. ते उपयोगमां लेवाना अर्थमा छे. ते आचीर्ण नामादि छपप्रकारे छे. द्रव्याचीर्ण व्यतिरिक्तमां, सिंहादिनु' पास खानानुं छोडीने मांस भक्षण छे, क्षेत्राचीर्णमां वाल्दिक देशमां सकतु (साधवो) खाय छे, अने कोकणमां पेक्षा खाय छे, हवे काला चीर्णमां जेमके उनायामां रसवाळो चंदननो लेप लगावे छे तथा । कापायिकी गंध रसवाळी लगावे छे तथा पाटल, सिरीश, अने मल्लिका, ए फुलो व्हालो लागे छे तेनी गाथा. सरसो चंदणपंको, अग्घइ सरसा य गन्धकासाई । पाइलिसिरीसमल्लिय पियाइँ काले निदाहमि ||१|| भावाचीर्णमां ज्ञानादि पंचक छे, तेनो प्रतिपादक आचार ग्रन्थ छे, हवे आ जाति लखे छे जेनामांधी संपूर्ण जन्म पामे, ते चार प्रकारे छे, द्रव्यनिक्षेपशमां व्यतिरिक्तमां मनुष्य विगेरे जाति लेवी अने भाव आ जातिमां ज्ञानादि आचारने जन्म आपनार आज ग्रन्थ छे. हवे आ मोक्ष शब्द कहे छे. जेमां सर्वथा मूकाय ते आमोक्षण छे, ते आमोक्षना चार निक्षेपा छे. तेमां द्रव्यव्यतिरिक्तमा, हेडमाथी पग छुटो करवानु ते, अने भात्र आमोक्षमां, आठ कर्मने जडमूळधी काढनार आ आचार प्रन्थ छे उपर ब
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सूत्रम ॥ १५ ॥