SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 459
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 424 Jaina Literature and Philosophy [312. करं मुनिदानमुत्तमगुणं शीलं सुपत्रोच्चयो पहनी(णी)ध्वं गुणकजिने निगदितं तांबूलमेतज्जयः १ जिहां रविशशीनां तेज सिंधु धराने हेज आ आनंदमंदिर प तिहां लगई थिर रहो जी ३० सर्व गाथा २२६७ भतीत चोवीसी एहथी थई पेहली जेह निर्वाणाजिनतीरथे य(थ)थो(पो) एह गुणगेह १ से संबंध तप ऊपरि संप्रति वीर जिणंद । गौतम प्रमुख परंपरा वली जे पूर्व मरिंद २ तेणई कथित चरिबथी तस अनुसार प्रगट्ट डालरूप ए बांधीओ मनमोदे गहगट्ट ३ अत्तागम ने अनंतरा परंपरागम जेह प्रवचन प्रमाण , तेहि ज निस्संदेह ४ आपमति अभिनिवेसिया अविनयी ने बहुमाप तहनां बचन प्रमाणतांबहुसंसारी थाय ५ जिणआणा आगलि करें नय गम भंगप्रमाण स्याद्वादी शुद्ध कथक जे ज्ञान क्रिया अहिठाण ६ सहनां वचन प्रमाणतां समकित निर्मल थाय समकितथी चारित्रनी गुण मघला ठहराय ७ सर्व गा(था) २३७३ हाल ५५ मी राग धन्यासी .. 'तप' गच्छको सुलतांन महायें ए देशी 'तप' गन्छ निर्मल जिम गंगाजल लायक नायक तेहना जी भीआणंदविमल रिसर संप्रति संवेगगुण जेहना जी १ सुणयो मवियण ! साधु तणा गुण भणयो भावे धरीने जी जिनदर्शन मुनिवंदन ए बेहु मोटा करणी मविने जी सुणयो० आंचली क्रियाउद्धार करीने जेणे शासनशोम चढाईजी कमतजलधीमा पडतां जनर्ने बोधि दीओ सुखदाई जी २९० भीविजयदानसूरीसर सुंदर तस पटदिनकर सारंपा जी अडी लाख जिनबिंध प्रतिष्ठा जिनमते सुंधा परिष्या जी सु. हीरो श्रीहीरविजयो सूरी कीर्ति सजी जिणे गोरी जी साहि अकबरने निज वयणे जिनमत स्यु मत्ति जोरी जी ४ सु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018041
Book TitleDescriptive Catalogue of Govt Collections of Manuscripts Part 1 Svetambara Works
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal R Kapadia
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages480
LanguageEnglish, Sanskrit
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy