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________________ २६४ केशवकृतः कल्पद्रुकोशः स्यादाकाशार्थवल्ल्यर्था दुःस्पर्शाऽथ गरा गरी । वेणीरुहा कोशफला घोरा रोमशपत्रिका ॥४०१॥ कदम्बा कर्कटी देवदाली स्यात्सारमूषिका । दाली तुरङ्गी तर्कारी विषनी वृत्तकोशका ॥४०२॥ वन्ध्यकर्कोटकी वन्ध्या' मनोज्ञा कन्दवल्लरी। पन्था' दिव्या पत्रदात्री भूतहन्त्रीश्वरी च सा ॥४०३॥ सुगन्धा सर्पदमनी श्रीकन्दा च कुमारिका । विषकण्टकिनी तिक्ता तिक्ततुण्ड्यथ शंवरी ॥४०॥ चित्रा द्रवन्ती कृशिरा सुकर्णी बहुकर्णिका। .. .. न्यग्रोधिकाऽऽखुकर्णी स्याच्चण्डा भूमिचरी वृषा ॥४०५॥ ऐन्द्रेन्द्रवारुण्यरुणा विषनी कणकर्णिका । मृगादिनी क्षुद्ररुहा हेमपुष्पोन्द्र चिर्भिटा ॥४०६॥ सूर्याऽमरा पोतपुष्पी सुपर्णी चेन्द्रवल्लरी । रक्तर्वारुर्विषलता वारुणी बालकप्रिया ॥४०७॥ गवाक्षी सुफला माता तारिका विषवल्लरी । वृषलाक्षी क्षुद्रफला विषनी चामृताप्यथ ॥४०८॥ महेन्द्रवारुणी चित्रवल्ली सौम्या महाफला । विशाला त्रपुसा दीर्घवल्ली स्यात्त्रपुसीत्यपि ॥४०६॥ , वन्ध्यck २ यथाB ३ शंबरीB ४ चिर्भिटीB ५ चामिषाB
SR No.016138
Book TitleKalpadru Kosh Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesava, Ramavatara Sarma
PublisherOriental Institute
Publication Year1928
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size30 MB
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