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शीलांकाचार्य के दो अपर नाम हैं-विमलमति और तत्वादित्य। आप निवृत्ति कुल के आचार्य थे। कुछ विद्वानों के मतानुसार वर्तमान में आचारांग और सूत्रकृतांग पर ही आपकी टीकाएं उपलब्ध हैं। शुंभा (आर्या)
प्रभु पार्श्व के समय में श्रावस्ती नाम की एक नगरी थी। उस नगरी में जितशत्रु नामक राजा राज्य करता था। वहां शुंभ नाम का एक धनी सार्थवाह रहता था। उसकी पत्नी का नाम शुभश्री था। ___एक बार पुरुषादानीय प्रभु पार्श्वनाथ श्रावस्ती नगरी में पधारे। प्रभु का धर्मोपदेश सुनकर कुमारी शुंभा विरक्त हो गई। माता-पिता की अनुमति प्राप्त कर वह प्रभु के धर्मसंघ में दीक्षित हो गई। कुछ समय तक उसने विशुद्ध चारित्र की आराधना की। बाद में वह शरीर बकुशा बन गई और अंतिम समय में आलोचना के बिना कालधर्म को प्राप्त करके वैरोचनेन्द्र (बलीन्द्र) की पटरानी के रूप में जन्मी। ___कालक्रम से वहां से च्यव कर वह महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगी और वहां विशुद्ध संयमाराधना से सर्व कर्म खपा कर सिद्ध होगी। इनका विशेष परिचय काली आर्या के समान जानना चाहिए। (देखिए-काली आया)
___-ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु., द्वि.वर्ग, अध्ययन 1 शुक अणगार
शुक अपने पूर्व जीवन में एक प्रभावशाली परिव्राजक था और शुचिमूलक धर्म का उपदेष्टा था। उसका प्रभाव इतना अधिक था कि उसके शिष्यों की संख्या एक हजार तक पहुंच गई थी। किसी समय अरिहंत अरिष्टनेमि के शिष्य थावर्चापत्र अणगार से उसका शास्त्रीय-संवाद हुआ। शक सुलभबोधि था। शीघ्र ही उसे थावर्चापुत्र अणगार के विनयमूलक धर्म पर श्रद्धा हो गई और वह अपने एक हजार शिष्यों के साथ श्रमणधर्म में प्रव्रजित हो गया। निरतिचार संयम साधना से उसने सर्वकर्मों को राख करते हुए अपने एक हजार शिष्यों सहित पुण्डरीक पर्वत से सिद्धत्व प्राप्त किया।
-ज्ञाताधर्मकथांग-5 शुभंकर (आचार्य)
___ एक प्राचीन जैन आचार्य जिसके उपदेश से प्रभावित बनकर श्रेष्ठिपुत्र सुव्रत ने संयम व्रत अंगीकार किया था। (देखिए-सुव्रत) शुभचन्द्र (आचार्य)
दिगम्बर जैन परम्परा के एक ध्यानयोगी आचार्य। आप द्वारा रचित 'ज्ञानार्णव' नामक ग्रन्थ ध्यान सम्बन्धी प्रचुर सामग्री को लिए हुए है।
आप विक्रम की ग्यारहवीं शती के तथा राजा मुंज के समकालीन आचार्य माने जाते हैं। -ज्ञानार्णव शुभमति
कौतुकमंगलनगर नरेश एवं भरत की माता कैकेयी के पिता। (देखिए-कैकेयी)
अयोध्या नगरी के राजा और सतरहवें तीर्थंकर प्रभु कुन्थुनाथ के जनक। –त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र शूरचन्द्र
रथ्यपुर नगर का रहने वाला श्रेष्ठिपुत्र । उसका एक सहोदर था जिसका नाम शूरमित्र था। दोनों भाइयों ... जैन चरित्र कोश...
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