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इंद्रजीत
लंकानरेश रावण का प्रबल पराक्रमी पुत्र । पौराणिक आख्यानों में उल्लेख है कि इंद्र को जीत लेने के कारण उसका उक्त नाम प्रचलित हुआ था। राम-रावण युद्ध में उसने अद्भुत पराक्रम दिखाया। जैन रामायण के अनुसार आखिर उसे राम का बन्दी बनना पड़ा। युद्धोपरान्त मुक्त होने पर उसे संसार से विरक्ति हो गई और प्रव्रजित होकर आत्मसाधना द्वारा उसने सद्गति का अधिकार पाया। (देखिए - जैन रामायण)
इंद्रदत्त अणगार
एक दीर्घ तपस्वी अणगार । वे निरन्तर मासखमण तप की आराधना करते थे । (देखिए - महाबल कुमार) - विपाक सूत्र द्वि. श्रु. अ. 6
इंद्रदत्त उपाध्याय
उत्तराध्ययन सूत्र में वर्णित कपिल केवली के श्रावस्ती निवासी अध्यापक । वे विद्वान और लोकमान्य ब्राह्मण थे । (देखिए कपिल केवली)
इंद्रदिन्न (आचार्य)
आर्य सुहस्ती की परम्परा में इंद्रदिन्न नामक आचार्य हुए। वी. नि. की चतुर्थ शताब्दी के उत्तरांश में उनकी उपस्थिति अनुमानित है । आर्य इंद्रदिन्न आचार्य सुस्थित के पांच शिष्यों में प्रथम थे।
- कल्पसूत्र स्थविरावली
इंद्रभूति गौतम ( गणधर )
गोबर ग्रामवासी गौतम गोत्रीय ब्राह्मण वसुभूति एवं ब्राह्मणी पृथ्वी के पुत्र, चरम तीर्थंकर भगवान महावीर के ज्येष्ठ शिष्य, ग्यारह गणधरों में प्रथम गणधर तथा चौदह हजार मुनियों के नेता। आवश्यक चूर्णि के अनुसार गौतम उपनाम से ख्यात इंद्रभूति चारों वेदों के विद्वान तथा प्रकाण्ड पण्डित थे। उनके गुरुकुल में पांच सौ छात्र पढ़ते थे ।
एक बार अपापा निवासी सोमिल ब्राह्मण ने एक महायज्ञ का आयोजन किया, जिसमें इंद्रभूति आदि भारत के समस्त ख्याति प्राप्त ब्राह्मण विद्वानों को आमंत्रित किया गया। इंद्रभूति उस यज्ञ के सूत्र - थे । यज्ञ जारी था। संयोग से उसी समय भगवान महावीर केवलज्ञान प्राप्त कर अपापा के महासेन उद्यान में समवसृत हुए थे । असंख्य देव आकाश से महासेन उद्यान में उतरने लगे। इंद्रभूति को लगा कि देवगण उसके यज्ञ में भाग लेने के लिए आ रहे हैं। पर देव विमानों को महासेन उद्यान की ओर मुड़ते देखकर उनका अहं आहत हो उठा। उन्होंने पूरी स्थिति की जानकारी प्राप्त की। महावीर को शास्त्रार्थ में पराजित करने के लिए महासेन उद्यान में पहुंचे। द्वार से ही उन्होंने स्वर्ण सिंहासन पर विराजित महावीर को देखा । महावीर की महिमा देखकर उनका उत्साह क्षीण हो गया ।
*** जैन चरित्र कोश •
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