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________________ NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEng ____{721} यो नात्युक्तः प्राह रूक्षं प्रियं वा यो वा हतो न प्रतिहन्ति धैर्यात्। पापं च यो नेच्छति तस्य हन्तुस्तस्येह देवाः स्पृहयन्ति नित्यम्॥ ___ (म.भा.12/299/17) जो दूसरों के द्वारा अपने लिये कड़वी बात कही जाने पर भी उसके प्रति कठोर या प्रिय कुछ भी नहीं कहता तथा किसी के द्वारा चोट खाकर भी धैर्य के कारण बदले में न तो मारने वाले को मारता है और न उसकी बुराई ही चाहता है, उस महात्मा से मिलने के लिये है देवता भी सदा लालायित रहते हैं। {722} यस्मात्तु लोके दृश्यन्ते क्षमिणः पृथिवीसमाः। तस्माजन्म च भूतानां भवश्च प्रतिपद्यते॥ (म.भा. 3/29/31) इस जगत में पृथ्वी के समान क्षमाशील पुरुष भी देखे जाते हैं, इसीलिए प्राणियों की उत्पत्ति व वृद्धि होती रहती है (अन्यथा क्रोध से एक दूसरे को मार कर सब नष्ट हो जाएं)। 兵兵兵兵兵兵兵兵斯城玩玩乐乐玩玩乐乐听听听听听听听听坂听听听听听妮妮妮妮妮妮妮听听听听听巩巩巩 張蛋乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听%%%%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {723} क्षन्तव्यं पुरुषेणेह सर्वापत्सु सुशोभने। क्षमावतो हि भूतानां जन्म चैव प्रकीर्तितम्॥ (म.भा. 3/29/32) पुरुष को सब तरह की आपत्तियों में क्षमा-भाव बनाये रखना चाहिए। चूंकि क्षमाशील व्यक्ति दुनिया में है, इसीलिए लोगों का जीवन चल रहा है। . {724} क्षमावान् ब्राह्मणो देवः क्षमावान् ब्राह्मणो वरः॥ क्षमावान् प्राप्नुयात् स्वर्गं क्षमावानाप्नुयाद् यशः। क्षमावान् प्राप्नुयान्मोक्षं तस्मात् साधुः स उच्यते॥ ___(म.भा.13/वैष्णव धर्म पर्व/92/ पृ.6375) जो ब्राह्मण क्षमावान् है, वह देवता कहलाता है, वही सबसे श्रेष्ठ है । क्षमाशील * मनुष्य को स्वर्ग, यश और मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिये क्षमावान् पुरुष साधु * * कहलाता है। वैदिक/ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/202
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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