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________________ N E卐卐卐EEEEEEEE卐म卐卐e {457} वर्जको मधुमांसस्य तस्य तुष्यति केशवः॥ वराहमत्स्यमांसानि यो नात्ति भृगुनन्दन। विरतो मद्यपानाच्च, तस्य तुष्यति केशवः॥ (वि. ध. पु. 1/58/2-3) (भगवान् शंकर का परशुराम को कथन-) हे भृगु-पुत्र! जो व्यक्ति मधु व मांस का सेवन नहीं करता, उस पर भगवान विष्णु प्रसन्न रहते हैं। जो वराह व मत्स्य का मांस नहीं खाता, मद्य-पान भी नहीं करता, उस पर भी भगवान् विष्णु प्रसन्न रहते हैं। 听听听听听听听坎坎听听听听听听听听圳乐听听听听听听斯乐听听听听听听听听听听听听听听乐乐%%%% {458} न भक्षयति यो मांसं न च हन्यान घातयेत्। तन्मित्रं सर्वभूतानां मनुः स्वायम्भुवोऽब्रवीत्।। (म.भा. 13/115/10) स्वायम्भुव मनुका कथन है कि जो मनुष्य न मांस खाता है और न पशु की हिंसा करता है और न दूसरे से ही हिंसा कराता है, वह सम्पूर्ण प्राणियों का मित्र है। 明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听贝贝听听形 . {459) सर्वमांसानि यो राजन् यावजीवं न भक्षयेत्। स्वर्गे स विपुलं स्थानं प्राप्नुयानात्र संशयः॥ ये भक्षयन्ति मांसानि भूतानां जीवितैषिणाम्। भक्ष्यन्ते तेऽपि भूतैस्तैरिति मे नास्ति संशयः॥ मासं भक्षयते यस्माद् भक्षयिष्ये तमप्यहम्। एतन्मांसस्य मांसत्वमनुबुद्ध्यस्व भारत॥ (म.भा.13/116/23-25) जो जीवनभर किसी भी प्राणी का मांस नहीं खाता, वह स्वर्ग में श्रेष्ठ एवं विशाल भ स्थान पाता है, इसमें संशय नहीं है। जो जीवित रहने की इच्छा वाले प्राणियों के मांस को * खाते हैं, वे दूसरे जन्म में उन्हीं प्राणियों द्वारा भक्षण किये जाते हैं। इस विषय में मुझे संशय + नहीं है। (जिसका वध किया जाता है, वह प्राणी कहता है-) मांस भक्षयते यस्मात् भक्षयिष्ये । तमप्यहम् । अर्थात्, आज मुझे वह खाता है तो कभी मैं भी उसे खाऊँगा। यही मांस का मांसत्व ' है-इसे ही मांस शब्द का तात्पर्य समझो। 乐乐乐乐圳乐乐乐乐明明明明明明明明乐乐乐明明明明明明明明明明明明明示 अहिंसा कोश/129]]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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