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________________ 男男%%%%%%男男男男男男男男男男%%%% %% %%% %%%%% {431} आहर्ता चानुमन्ता च विशस्ता क्रयविक्रयी। संस्कर्ता चोपभोक्ता च खादकाः सर्व एव ते।। (म.भा. 13/115/45) जो मनुष्य पशु-हत्या के लिये पशु पालता है, जो उसे मारने की अनुमति देता है, जो उसका वध करता है तथा जो खरीदता, बेचता, पकाता और खाता है, वे सब-के-सब खानेवाले ही माने जाते हैं। अर्थात् वे सब खानेवाले के समान ही पाप के भागी होते हैं। 加垢玩垢听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {432} षविधं नृप ते प्रोक्तं विद्वदिभर्जीवघातनम्॥ अनुमोदयिता पूर्वं द्वितीयो घातकः स्मृतः। विश्वासकस्तृतीयोऽपि चतुर्थो भक्षकस्तथा। पंचमः पाचकः प्रोक्तः षष्ठो भूपात्रविग्रही॥ ___ (ना. पु. 2/10/8-9) विद्वानों ने छः प्रकार के जीवघाती बताये हैं- (1) अनुमोदना देने वाला (2) स्वयं वध करने वाला, (3) विश्वास (अर्थात् वध में सहयोग) देने वाला (4) मारे गए (के ई मांसादि) को खाने वाला, (5) मृत मांस को पकाने वाला, तथा (6) पात्र आदि के संग्रह में भागीदार। 听听听听乐乐听听听听乐乐乐听听听听听听听乐明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {433} विक्रयार्थं हि यो हिंस्याद् भक्षयेद् वा निरंकुशः। घातयन्तं हि पुरुषं येऽनुमन्येयुरर्थिनः॥ घातकः खादको वापि तथा यश्चानुमन्यते। यावन्ति तस्य रोमाणि तावद् वर्षाणि मज्जति॥ (म.भा. 13/74/3-4) ___ जो उच्छृखल मनुष्य मांस बेचने के लिए गौ आदि पशु की हिंसा करता या उनका मांस खाता है तथा जो स्वार्थवश घातक पुरुष को गाय आदि पशु मारने की सलाह देते हैं, 卐 वे सभी महान् पाप के भागी होते हैं। गौ आदि पशुओं की हत्या करने वाले, उसका मांस में खाने वाले तथा हत्या का अनुमोदन करने वाले लोग गौ आदि पशुओं के शरीर में जितने रोएँ म होते हैं, उतने वर्षों तक नरक में डूबे रहते हैं। [वैदिक ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/122
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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