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________________ 男 男男男男男男男男男男男男%%%%% %%%%%%%% %% %% % {434} खादकस्य कृते जन्तूनू यो हन्यात् पुरुषाधमः। महादोषतरस्तत्र घातको न तु खादकः॥ (म.भा. 13/115/42) जो मांस खाने वाले अन्य लोगों के लिये पशुओं की हत्या करता है, वह मनुष्यों में के अधम है। क्योंकि घातक को जितना बहुत भारी दोष लगता है और मांस खानेवाले को उतना दोष नहीं लगता। मांस-भक्षणः निन्दनीय व वर्जनीय {435} क्रव्यादान् राक्षसान् विद्धि जिह्वानृतपरायणान्॥ (म.भा. 13/115/25) जो कुटिलता और असत्य-भाषण में प्रवृत्त होकर सदा मांस-भक्षण किया करते हैं, उन्हें राक्षस समझो। 望听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {436) $听听听听听听坎坎坎巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩听听听听听听听听听听听听听听听巩巩巩巩听听听听听听听织举 मज्जो नाश्नीयात्। (छान्दो. 2/19) मांस न खाएं। {437} न मांसमश्नीयात्। (तैत्ति.ब्रा.1/1/9/71-72) मांस नहीं खाना चाहिए। {438} य इच्छेत् पुरुषोऽत्यन्तमात्मानं निरुपद्रवम्। स वर्जयेत मांसानि प्राणिनामिह सर्वशः॥ (म.भा. 13/115/48) जो मनुष्य अपने आप को अत्यन्त उपद्रवरहित रखना चाहता हो (निर्विघ्न जीवन जीना चाहता हो), वह इस जगत् में प्राणियों के मांस का सर्वथा परित्याग कर दे। %% % %%% % %%%%% %%%%%%%%%% %%% 、 अहिंसा कोश/123]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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