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________________ MAAYEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEyms {360) सहृदयं सांमनस्यमविद्वेषं कृणोमि वः। (अ3/30/1) आप सब परस्पर एक दूसरे के प्रति हृदय में शुभ संकल्प रखें, द्वेष न करें। {361} मा भ्राता भ्रातरं द्विक्षन्, मा स्वसारमुत स्वसा। (अ3/30/5) भाई-भाई आपस में द्वेष न करे, बहिन-बहिन आपस में द्वेष न करें। {362} सर्वं परिक्रोशं जहि। (ऋ.1/29/7) सब प्रकार के मात्सर्य का त्याग कर। {363} यथोत मनुषो मन एवेर्योर्मतं मनः। (अ.6/18/2) जिस प्रकार मरते हुए व्यक्ति का मन मरा हुआ-सा हो जाता है,उसी प्रकार ईर्ष्या करने वाले का मन भी मरा हुआ-सा रहता है। {364} अव ब्रह्मद्विषो जहि। (सा.1/2/9/1/194) सदाचारी विद्वानों से जो द्वेष करने वाले हैं, उन्हें त्याग दो। {3653 मा वो वचांसि परिचक्ष्याणि वोचम्। (सा.1/6/3/9/610) मैं त्याज्य अर्थात् निन्द्य वचन नहीं बोलता। %%%%%%%%%%男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男、 अहिंसा कोश/105]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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