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________________ M乐听听听听听听听听听听听听听听听听听玩玩乐乐垢玩垢玩垢玩垢听听听听听听P. {351) सर्वेषां यः सुहृन्नित्यं सर्वेषां च हिते रतः। कर्मणा मनसा वाचा स धर्मं वेद जाजले॥ (म.भा.12/262/9) जो सब जीवों का सुहृद् होकर और मन, वाणी तथा क्रिया द्वारा सदा सब के हित में लगा रहता है, वही वास्तव में धर्म के स्वरूप को जानता है। {352} अद्रोहः सर्वभूतेषु कर्मणा मनसा गिरा। अनुग्रहश्च दानं च सतां धर्मः सनातनः॥ (म.भा.3/297/35) मन, वाणी और क्रिया द्वारा किसी भी प्राणी से द्रोह न करना, सब पर दयाभाव बनाये रखना और दान देना-यह साधु पुरुषों का सनातन धर्म है। {353} 望坑坎听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 सर्वलौकहितैषित्वं मंगलं प्रियवादिता। सामान्यं सर्ववर्णानां मुनिभिः परिकीर्तितम्॥ (ना. पु. 1/24/28-29) मुनियों ने समस्त वर्णो के लिए सामान्य धर्म इस प्रकार बताए हैं- सभी लोगों के + हित-साधन की भावना, सभी के लिए मंगल-भावना, प्रिय-भाषण आदि-आदि। %%%%%%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {354} दधीचिना पुरा गीतः श्लोकोऽयं श्रूयते भुवि। सर्वधर्ममयः सारः सर्वधर्मज्ञसंमतः॥ परोपकारः कर्तव्यः प्राणैरपि धनैरपि। परोपकारजं पुण्यं तुल्यं क्रतुशतैरपि॥ (प.पु. 6(उत्तर)/129/238-239) ___दधीचि ऋषि द्वारा पूर्व काल में कथित यह प्रशंसात्मक वचन पृथ्वी पर सुना जाता ॐ है, जिसमें सभी धर्मों का सार निहित है और जो सभी धर्मज्ञों द्वारा संमत है- 'अपने प्राणों के 4 से तथा धन से भी परोपकार करना चाहिए, और परोपकार से उत्पन्न पुण्य सैकड़ों यज्ञों के के समान होता है। 乐乐玩玩玩乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听乐开除 अहिंसा कोश/103]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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