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________________ ( ११० ) अङ्कविद्या वृहत् जैन शब्दार्णव अङ्कविद्या २००० धनुष लम्बाई का १ क्रोश । ५३४ स्तोकया३७७३बालस्वासोच्छवास ४ क्रोश लम्बाई का १ योजन । (तत्काल के जन्मे स्वस्थ्य बालक को ५०० योजन लम्बाई का १ महायोजन या स्वासोच्छ्वास जो स्वस्थ्य युवा पुरुष के प्रमाण योजन । एक स्वासोच्छ्वास का एक पञ्चम भाग असंख्यात महायोजन लम्बाई का १ राजू । या जिसका काल स्वस्थ पुरुष की प्रत्येक ७ राजू लम्बाई की ? जगच्छूणी। . नाड़ो-गति या नाड़ी-फड़कन कालको ४६ वर्गराजू (७ रोजू लम्बा और ७ राजू समान है ) का १ मुहूर्त । चौड़ा क्षेत्र) का १ जगत्प्रतरक्षेत्र। १. समय कम १ मुहू का १ उत्कृष्ट अन्तर३४३ घनराजू (७ राजू लम्बा, ७ राजू मुहूर्त । चौड़ा और ७ राजू मोटा क्षेत्र ) का १२॥ घटिका या ६० मिनिट का १ घंटा। जगत्वन या लोक। ३ घंटा या ७॥ घटिका का १ प्रहर । अनन्तानन्त लोक का सर्व अलोक । ८ प्रहर या २४ घंटा या ६० घटिका का १ लोक और अलोक मिलकर लोकालोक। अहोरात्रि ( दिन रात्रि)। नोट८-काल लोकोत्तर मान का ७ अहोरात्रि का १ सप्ताह । जघन्य मान १ समय है। जिस प्रकार पुद्गल १५ अहोरात्रि का १ पक्ष । के छोटे से छोटे अंश का नाम “परमाण" और २ पक्ष या ३० अहोरात्रि का १ मास (साधाआकाश क्षेत्र के छोटे से छोटे अंश का नाम रण )। "प्रदेश" है, इसी प्रकार काल के छोटे से २६।। अहोरात्रि का १ स्थूल चान्द्र मास । छोटे अंश का नाम समय है ॥ २९ अहोरात्रि, ३१ घटिका, ५० पल, ७ विपल * जघन्य युतासंख्यात संख्या प्रमाण (२९.५३०५८७६४६०७ अहोरात्रि ) का १ समय की १ आवली। सूक्ष्म चान्द्र मास । एक समय अधेक १ आवली का १ जघन्य ३०॥ अहोरात्रि का १ स्थूल सौरमास । ___ अन्तरमुहूर्त। ३० अहोरात्रि, २६ घटिका, १७ पल, ३७॥ संख्यात् आवली का १ प्रतिविपलांश। विपल ( ३०.४३८२२९१६६६६ अहोरात्रि) ६० प्रतिविपलांश का १ प्रतिविपल । का १ सूक्ष्म सौरमास । ६० प्रतिविपल का १ विपल । २ माख (साधारण) की १ ऋतु । ६० विपल या २४ सैकंड का १ पल या ३ ऋतु का १ अयन । विनाड़ी। २ अयन या १२ मास ( साधारण ) या ३६० ६० पल या २५ मिनिट की १ घटिका (घड़ी दिन का १ वर्ष साधारण )। या नाड़ी या नाली) ३५४॥ दिन का १ स्थूल चान्द्रवर्ष । २ घटिका या ४८ मिनट या ७७ लव या | ३५४ दिन, २२ घड़ी, १ पल, २४ विपल* जघन्य युक्तोसंख्यात की संख्या का (३५४.३६७०५५३५२८४ दिन ) को १ परिमाण जानने के लिये देखो शब्द "अङ्क सूक्ष्म चान्द्रवर्ष। गणना के नोट १ के अन्तर्गत (७)'। | ३६५। दिन का १ स्थूल सौरवर्ष । For Personal & Private Use Only Jain Education International www.tainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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