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अङ्कगणना वृहत् जैन शब्दार्णव
अङ्कगणना लवणसनुद्र में के सारे जल के यदि सरसों किया गया है । के दाने की बराबर के छोटे छोटे जलविन्दु (१६) २१६ या २५६२ अर्थात् २ किये जावे तो उन की संख्या उपयुक्त नं० का १६वां बल या २२६ का द्वितीय बल या (६) में वर्णित अनवस्था कुंड की सरसों की । २५६ का वर्ग ६५५३६ है । इसे 'पणट्ठी' या संख्या १६७६१२०६२६६६६८०००००००००००
'पण्णट्ठी' कहते हैं । यह द्विरूप वर्गधारा co००००००००००००००००००
| का चौथा स्थान है । पणट्ठी का वर्ग ४२९४ णित अर्थात् उसके ५ सयभागों में से ३
९६ ७२९६ है । यह संख्या २३२ अर्थात् २ का भाग अधिक १२ गुणी २४६३६६२३७१७६५९ | ३२वाँ बल है। इसे 'वादाल' कहते हैं। यह ६८ ००००००००००००००००००००००००००० | द्विरूप वर्गवारा का पाँचवां स्थान है। वा००० (४६ स्थान प्रमाण, १६ अङ्क और ३० | दाल का वर्ग १८४४६७४४०७३७०९५५१६१६ शून्य ) है और यदि पाताल कुंडों के और है। यह संख्या२६४ अर्थात् २ का ६४ वां समभूमि से ऊंवे उठे हुए जल सहित उस बल है । इसे 'एकट्ठी' कहते हैं । यह द्विरूप के सम्पूर्ण जल के ऐसे ही जलबिन्दु किये. वर्गधारा का छटा स्थान है। वादाल का घन जावे तो उनकी संख्या इस उपयुक्त संख्यासे | ७९२२८१६२५,१४२६४३३७५६३५४३९५०३३६ कुछ अधिक १७ गुणी होगी॥
( २६ अङ्क प्रमाण, अर्थात् उनासी करोड़, (१५) लवणसमुद्र के सम्पूर्ण जल की बाईस लाख, इक्यासी हजार, छह सौ पचीस तोल (१००८ पाताल कुंडों के और समभूमि | महासंख; एक सौ बयालीससंख, चौंसठ से ऊँचे उठे हुये जल सहित की.) १८३४४४२ | पद्म, तेतिस पील, पिछत्तर खर्व, तिरानवे ८०४५५१६ ०५०००००००००००००००००००० | अर्व, चब्वन करोड़, उन्तालीस लाख, पचास ०० ( १६ अङ्क और २२ शन्य, सर्व ३८ स्थान | हजार, तीन सौ छतीस ) है । यह संख्या प्रमाण ) मन है ॥
२६६ अर्थात् २ का ६६वां बल (घात) है ॥ सूचना ४-एक घनफट स्थान में ३० सेर | यह संख्या अढ़ाईद्वीप के सर्व पर्याप्त मनुष्यों ६ छटाँक नदी का जल और ३१ सेर ४ | की है ॥ छटाँक समुद्री खारी जल (लवण समुद्र का नोट ५-अङ्कगणना में कोई २ संख्या जल ) आता है; एक घनहस्त प्रमाण स्थान | बड़ी अद्भुत और 'आश्चर्योत्पादक' है, जैसे में २ मन २५ सेर ७॥ छटाँक, एक घन गज़ | (१) १४२८५७; यह ऐसी संख्या है कि (बीख या कि कु ) अर्थात् एक गज़ लम्बे, जिसे २,३,४,५ या ६ में अलग अलग गुणन एक गज़ चौड़े और एक गज गहरे स्थान में करने से जो 'गुणनफल' की संख्यायें २८५७ २१ मन ३॥ सेर और इसी रीति से एक घन | १४, ४२८५७१, ५७१४२८,७१४२८५,८५७१४२, महायोजन क्षेत्र में १०८०००००००००००००० प्राप्त होती हैं उनमें से प्रत्येक में गुण्य ०००००० ( १०८ पर २० शून्य ) मन जल अर्थात् मूलसंख्या" २८५७ के ही अङ्क समाता है । यहाँ ८० तोला ( ८० रुपये भर केवल स्थान बदल कर आजाते हैं, तिस पर का एक सेर और ४० सेर का एक मन ग्रहण भी विशेष आश्चर्य जनक बात यह है कि
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