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अङ्कगणना वृहत् जैन शब्दाणव
अङ्कगणना प्रत्येक गुणन फल की संख्या के अङ्क अपना १८,२७,३६,४५,५४,६३, ७३, ८१, ६०, प्रत्येक कमभंग भी नहीं करते ॥
ऐसी संख्या आती है जिसके अङ्कों को जोड़ उसी मूलसंख्या को यदि ७ से गुणन लैने से मूल अङ्क ६ ही प्राप्त होता है ॥ किया जाय तो गुणनफल EEEEEE में सर्व केवल इतना ही नहीं, १० से आगे की | अङ्क: ही आजाते हैं । और यदि उपर्युक्त भी उत्कृष्ट अनन्तान तककी चाहे जिस संख्या छहों गुणनफलों में से किसी ही गुणनफल को इससे गुणे प्रत्येक अवस्था में ऐसा ही को भी ७ से गुणन करें तो भी प्रत्येक नवीन गुणनफल प्राप्त होगा जिसके सर्व अङ्कों को गुणनफल १६६६६६८,२६६६६६७.३१९९९९६, | जोड़ने से ( यदि जोड़ की संख्या १ अङ्क से ४६६६६६५,५६६६६६४.६९९९९९३, में प्रथम अधिक अङ्कों की हो तो उसके अङ्कों को भी | और अन्तिम एक एक अङ्क के अतिरिक्त शेष | फिर जोड़ जोड़ लें जब तककि अन्तिम जोड़ सर्व ही अङ्क ही आते हैं और वह प्रथम एक अङ्क की संख्या न बन जाय ) वही मूल और अन्तिम अङ्क भी प्रत्येक गुणनफल में ऐसे अङ्क प्राप्त होगा। जैसे ५२७ को ६ गुणित आते हैं जिनका जोड़ भी ही होता है । किया तौ ४७ ४३ प्राप्त हुआ, इसके अङ्कों ३,
उसी मूळ संख्या को, या उसे २,३,४,४,७,४, को जोड़ने से १८, और फिर १८ के ५.६, से गुणन करके जो उपर्युक्त गुणनफल | अङ्को ८ और १ को जोड़ने से यहीं मूल अङ्क प्राप्त हो उनमें से किसी को ८ या ९ से गुणन प्राप्त हुआ। करें तौ भी प्रत्येक नवीन गुणनफल में ऐसे ७! इसके अतिरिक्त इस अद्भुत अङ्क ९ में अङ्क आजाते हैं कि यदि उनके केवल प्रथम अन्य भी कई निम्न लिखित 'आश्चर्यजनक' और अन्तिम अङ्कों को जोड़कर इकाई के गुण हैं:स्थान पर रखदें जिससे प्रत्येक संख्या ६ अङ्क! १. यदि १२३४५६७८९, इस संख्या को प्रमाण ही हो जावे तो भी मूलसख्या (जो १ से लेकर इतकके ,अङ्कों को क्रमवार के वे ही छहों अङ्क केवल अपना स्थान रखने से बनी है) ९ से गुणें तो गुणनफल ११ बदल कर बिना क्रमभंग किये हुये पूर्व ११११११०१ में सर्व अङ्क १ ही १ आजाते हैं, वत् ज्यों के त्यों आजाते हैं ।
केवल दहाई पर शन्य आता है। उसी संख्या और यदि मूलसंख्या और ७ के गुणन को यदि ९ के दूने १८, तिगुने २७, चोगुने३६, फल EEEEEE को २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, या पचगुने ४५, छह गुने ५४,सातगुने ६३, आठ६ में से किसी अङ्क से गुणन किया जाय तो गुने ७२, या नवगुने ८१ से गुणे तो भी प्रत्येक भी केवल प्रथम और अन्तिम अङ्क को जोड़ गुणनफल में सर्व ही अङ्क २ ही २, ३ ही ३, कर रख लेने से प्रत्येक गुणनफल में ही ६४ ही ४, इत्यादि एक ही प्रकार के आते हैं के अङ्क आजाते हैं।
| और दहाई पर प्रत्येक अवस्था में शन्य ___(२) ९ का अङ्क भी उपयुक्त संख्या १४२ आता है। ८५७ से कम “आश्चात्पादक" नहीं है । इसे २.यदि ६८७६५४३२१ इस संख्या को जो २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, १०, में से किसी पूर्व संख्या की 'विलोमसंख्या' है या के ही असे गुणन करने से प्रत्येक गुणनफल | द्विगुण, त्रिगुण, चतुरगुण, आदिमें से किसी
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