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( ५ ) अङ्कगणना वृहत् जेन शब्दार्णव
अङ्कगणना 'जघन्ययुक्तासंख्यात' की संख्या है। इस द्वितीय उत्तर प्रमाण फिर बल लें ।
(त्रि० गा० ३६)॥ इसी प्रकार प्रत्येक नवीन नवीन उत्तर नोट-इस जघन्ययुक्तासंख्यात ही की संख्याओं का उसी उसी प्रमाण बल को "आवली" भी कहते हैं, क्योंकि एक | इतनी बार लें जितनी 'जघन्यअसंख्याताआवली प्रमाण काल में जघन्य युक्तासंख्यात | संख्यात' की संख्या है। की संख्या प्रमाण समय होते हैं ।
इस प्रकार जो अन्तिम संख्या प्राप्त ( त्रि० गा० ३७)॥ | होगी वह अभी "असंख्यातासंख्यात' की (८) मध्य युक्तासंख्यात-'जघ- एक मध्यम संख्या ही है। अब 'असंख्यातान्ययुक्तासंख्यात की संख्या' से एक संख्यात' की इस मध्यम संख्या का इसी 'अधिक से लेकर 'उत्कृष्ट युक्तासंख्यात' की संख्या प्रमाण फिर 'बल' ले उत्तर में जो संख्या से १ कम तक की संख्या की जितनी
संख्या प्राप्त हो उसका इस उत्तर प्रमाण फिर संख्याएँ हैं वे सर्व मध्ययुक्तासंण्यांत की
बल लें । इसी प्रकार प्रत्येक नवीन नवीन संख्याएं हैं ॥
उत्तर की संख्या का उसी उसी प्रमाण बल (६) उत्कृष्ट युक्तासंख्यात–'जघन्य
इतनी बार लें जितनी उपयुक्त "मध्यमअ. असंख्यातासंख्यात' की संख्या से एक कम ॥
संख्यातासंख्यात" की संख्या है ॥ (१०) जघन्य अप्संख्यातासंख्यात- इस प्रकार कर चुकने पर जो अन्तिम (जघन्ययुक्तासंख्यात), अर्थात् 'जघन्ययुक्तासं
उत्तर प्राप्त होगा वह भी "मध्यमअसंख्याता
संख्यात" ही का एक भेद है । इस अन्तिम ख्यात' का 'द्वितीय बल या वर्ग' जो जघन्य
संख्या का फिर इस अन्तिम संख्या प्रमाण युक्तासंख्यात को 'जघन्ययकासंख्यात' ही में
ही 'चल' लें। और उपयुक्त रीति से हर नगुणन कर लेने से प्राप्त होता है ।।
वीन २ उत्तर का उसी २ प्रमाण इतनी बार (त्रि० गा० ३७)॥
बल लें जितनी द्वितीय चार प्राप्त हुई उपर्युक्त (११) मध्य असंख्यातासंख्यात--
"मध्यमअसंख्यातासंख्यात" की संख्या है। 'जघन्यअसंख्यातासंख्यात' से एक अधिक से
इस रीति से ३ बार उपयुक्त क्रिया लेकर “उत्कृष्ठअसंख्यातासंख्यात" से १ कम
कर चुकने पर भी जो अन्तिम संख्या प्राप्त तक की जितना संख्याएँ हैं वे सर्व ॥
होगी वह भी “मध्यमअसंख्यातासंख्यात" (१२) उत्कृष्ट असंख्यातासंख्यात
हो का एक भेद है । इस कूमानुसार तीन "जघन्य परीतानन्त" की संख्या से १ कम ॥
बार किये हुए गुणन विधान को “शला(१३) जघन्यपरीतानन्त--'जघन्यअ
कात्रयनिष्ठापन" कहते हैं । संख्यातासंख्यात' की उपयुक्त संख्या का
उपर्युक "शलाकोत्रयनिष्ठापन" वि'जघन्यअसंख्यातासंख्यात' की संख्या प्रमाण | धान से जो अन्तिमराशि प्राप्त हुई उसमें । 'बल' ल । उत्तर में जो संख्या प्राप्त हो नीचे लिखी छह राशियां और जोड़:-- उसका उसी उत्तर प्रमाण फिर "बल" | (१) लोकप्रमाण "धर्मद्रव्य" के असं लें । उत्तर में जो संख्या प्राप्त हो उस का | ख्यात प्रदेश,
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