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________________ __(६४ ) अग्निमित्र . वृहत् जैन शब्दार्णव अग्निमुक्त के पुत्र 'अग्निसह' (अग्निविप्र) का तृतीय | मगध का राज्य पाया और इस प्रकार १४० जन्म धारी व्यक्ति है अर्थात् 'अग्निसह' के | वर्ष के राज्य के पश्चात् मौर्यवंश का अन्त जीव ने बीच में एक पर्याय स्वर्ग की पा- | हुआ। . कर "गौत्तम'' ब्राह्मण के घर उसकी स्त्री नोट २-इसी शुङ्गवंश में निम्न लिखित कौशाम्बी के उदर से जन्म लिया और राजाओं ने मगध का राज्य कियाःयही अन्य बहु जन्म धारण कर अन्त (१) पुष्पमित्र ने वीर नि० सं० ३६० से में "श्री महाबीर बर्द्धमान"तीर्थकर हुआ। ३७५ तक अर्थात् वि० सं० के प्रारम्भ से देखो शब्द “अग्निसह" और ग्र० "०वि. १२८ वर्ष पूर्वसे ११३ वर्ष पूर्व तक या सन् च.")॥ ईस्वी के प्रारम्भ से १८५ वर्ष पूर्व से १७० (३) मगधदेशका एक प्रसिद्ध राजा। वर्ष पूर्व तक, १५ वर्ष । यह अग्निमित्र शुङ्गबंशी राजा पुष्पमित्र का ( २) वसुमित्र ने ( अपने पिता पुष्पमित्र लघ पुत्र था जो अपने पिता के राज्यकाल के संरक्षण में ) १५ वर्ष तक। में उसके राज्य के दक्षिणी भाग का अधि (३) अग्निमित्र ने (अपने पिता पुष्पमित्र पति रहा । जब वीर नि०सं० ३७५ में (वि० के संरक्षण में)६ वर्ष तक और पश्चात् सं० से ११३ वर्ष पूर्व ) "खारवेल महामेघ म वर्ष तक, सर्व १४ वर्ष तक। बाहन" नामक एक जैन राजा ने इस के पिता 'पुष्पमित्र' को युद्ध में हरा कर म. (४) वसुमित्र( द्वितीय या सु-ज्येष्ठ वलु) थुरा की ओर भगा दिया तो १५ वर्ष तक से देवभूति तक ८ राजाओं ने ६८ वर्ष तक। मगध की गद्दी पर इस के ज्येष्ठ भ्राता वसुमित्र ने और फिर ६ वर्ष तक अग्नि इस प्रकार शुङ्गवंशी ११ राजाओं ने मित्र ने खारबेल की आज्ञा में रह कर और मगध की गद्दी पर वीर नि० सं० ३६० से अपने पिता को अपना संरक्षक बना कर ४७२ तक अर्थात् वि० सं० के प्रारम्भ से राज्य किया । फिर पिता की मृत्यु के प १६ वर्ष पूर्व तक या सन् ईस्वी से ७३ वर्ष श्वात् ८ वर्ष और राज्य करके अग्निमित्रने पूर्व तक, सब ११२ वर्ष राज्य किया। अपने पुत्र सुज्येष्ठ वसुमित्र (वसुमित्र द्वि. ( आगे देखो शब्द “अजातशत्रु" का तीय ) को अपना राज्याधिकारी बनाया। नोट ५)॥ प्रसिद्ध कवि कालिदास रचित 'मा भग्निमित्रा-गोशाला के शिष्य पोलसपुर लविकाग्निमित्र" नामक नाटक में इसी अग्निमित्र और मालविका के प्रेम का व. निवासी शकदाल कुम्हार की स्त्रीका नाम । र्णन है॥ (अ० मा० ) नोट.१-इस अग्निमित्र का पिता पुष्प- अग्निमुक्त-यह वर्तमान अवसर्पणी मित्र मौर्यवंशी अन्तिम राजा पुरूदरथ ( घृ- काल के गत-चतुर्थ भाग में हुये २४ कामहद्रथ ) का मेनापति था जिसने राजा के ८ देव पदवी धारक पुराण प्रसिद्ध महत् वर्ष के राज्य काल के पश्चात् मारे जाने पर पुरुषों में से ७ वे कामदेव हुये । इन का Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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