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________________ ( ३६ ) अक्षरमातृकाध्यान वृहत् जैन शब्दार्णव अक्षरमातृकाध्यान अधar E SODEEEEETHemamacanamatatastmendansartantra प्रकार का ध्यान 'पदस्थ ध्यान" है। इस भ्यः, इत्यादि। पदस्थध्यान सम्बन्धी निम्न लिखित अनेक |५. पञ्चाक्षरी-(१) अ. सि. आ. उ. सा. "मंत्र" हैं जिनका सविस्तर स्वरूप, जपने की विधि और फल आदि इसी ग्रन्थ में (.) ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं हः (३) अर्हन्त सिद्ध "पदस्थ ध्यान" शब्द की व्याख्या में यथा (४) णमोसिद्धाणं (५) नमो सिद्ध भ्यः स्थान मिलेंगेः (६) नमोअर्हते (७) नमो अभ्यः (८) ॐ १. एकाक्षरी-(१) , यह मंत्रराज या आचार्येभ्यः, इत्यादि । मंत्राधिप नाम से प्रसिद्ध सर्व तत्वनायक ६. षडाक्षरी-(१) अरहन्त सिद्ध (१) नमो या बीजाक्षरतत्व है। इसे कोई बुद्धि तत्व, अरहते (३) ॐ ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं हुः (४) ॐ कोई हरि, ब्रह्मा, महेश्वर या शिव तत्व, नमो अर्हते (५) ॐ नमो अhः (६) और कोई सार्व. सर्वव्यापी या ईशान ह्रीं ॐ ॐ ह्रीं हंसः (७) ॐ नमः सिद्ध तत्व, इत्यादि अनेक नामों से नामाङ्कित भ्यः, इत्यादि। करते हैं। ७. सताक्षरी-(१) णमो अरहंताणं (२) ॐ (२) ॐ या ओ ओ३म्), यह "प्रणव" | ह्रीं श्री अहं नमः (३) णमो आइरियाणं नाम से प्रसिद्ध मंत्र अर्हन्त, अशरीर (४) णमो उवज्झायाणं (५) नमो उपा(सिद्ध), आचार्य, उपाध्याय, और ध्यायेभ्यः (६) नमः सर्व सिद्ध भ्यः मुनि (साधु), इन पंच परमेष्ठीवाचक है । (७) ॐ श्री जिनायनमः, इत्यादि । कोई कोई इसे रेफ युक्त इस प्रकार | अष्टाक्षरी-(९) ॐ णमो अरहताणं २) (ग) भी लिखते हैं। ॐ णमो आइरियाणं (३ ॐ नमो उपा. (३) ह्रीं, इसमंत्रका नाम "मायावर्ण" ध्यायेभ्यः (४) ॐ णमो उवझायाणं, या 'मायावीज" है। इत्यादि। (४) इवीं, इस मंत्र का नाम सकल-६. नवाक्षरी-(१) णमो लोए सच साहूगं सिद्ध विद्या" या "महाविद्या" है। (२) अरहंत सिद्ध भ्यो नमः, इत्यादि । (५) स्त्रीं, इस मंत्र का नाम “छिन्न- १०. दशाक्षरी-(:.) ॐ णमी लोए सन्य मस्तक महावीज" है। | . साहणं (.) ॐ अरहन्त सिद्ध भ्यो नमः, (३) अ, हां ह्री,ह, ह्रौं, हः क्लीं क्ल, इन्यादि। क्रौं, श्रां, श्री, श्रृं. क्षा, क्षी, क्षं. क्षः, | ११. एकादशाक्षरो-(१) ॐ ह्रां ह्रीं ह ह्रौं हः इत्यादि अनेक एकाक्षरी मंत्र हैं। अ सि आ उ सा (२) ॐ श्री अरहन्त युग्माक्षरी-१) अर्ह, (२) सिद्ध, (३) सिद्ध भ्योनमः, इत्यादि। साधु (४) ॐ ह्रीं, इत्यादि। १२. द्वादशाक्षरी-(१)हां ह्रीं ह्रौं हःअ सि । ३. त्रयाक्षरी-(१ अर्हत (२) ॐ अर्ह (३) आ उ सा नमः (२) ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं हः ॐ सिद्धं, इत्यादि। असि आ उ सा स्वाहा (३) अर्हत्सिद्ध ४. चतुराक्षरी-(१) अरहन्त (२) ॐ सिद्ध सयोग केवलि स्वाहा, इत्यादि । ammeemasoomantSHASHANKSREERSacreRBELASS ام اس Ance.m Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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