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कालवर्गः ४] मणिप्रभाव्याख्यासहितः।
३९ १ पक्षी पूर्वापरौ शुक्लकृष्णौ २ मासस्तु तावुभौ ॥ १२ ॥ ३ द्वौ द्वौ माघादिमासी स्यारतु४स्तैरयनं त्रिभिः । ५ अयने द्वे गतिरुदग्ददक्षिणार्कस्य वत्सरः ॥१३॥ ६ समरात्रिदिवे काले विषुद्विषुवं च तत् ।
१ शुक्लः, कृष्णः (२ पु), ये 'पक्षके दो भेद' हैं। ( उसमें उजियाले पक्षको 'शुक्ल' और अंधियारे पक्षको 'कृष्ण' कहते हैं ) ॥
२ मासः (पु), दो पक्ष, महीना' का नाम है । ('मार्गशीर्ष १, पौष २, माघ ३, फाल्गुन ४, चैत्र ५, पैशाख ६, ज्येष्ठ ७, पाढ ८, श्रावण ९, भाद्र १०, पाश्विन ११ और कार्तिक १२ ये बारह महीने होते हैं)॥
३ ऋतुः (पु), 'ऋतु' का । नाम हैं । मार्गशीर्ष अर्थात् अगहनसे दो दो महीनों के 'हेमन्त' सादि एक-एक *ऋतु होते हैं, इस प्रकार एक वर्ष ६ ऋतु होते हैं। ('हेमन्त १, शिशिर २, वसन्त ३, ग्रीष्म ४, वर्षा ५ और शरत् ६ ये ६ ऋतु हैं, मार्गशीर्ष (अगहन) और पोपमें 'हेमन्त' १, माघ और फाल्गुन में 'शिशिर' २, चैत और वैशाखमें 'वसन्त' ३, ज्येष्ठ और आषाढ में 'ग्रीष्म' ४, श्रावण और भादमें 'वर्षा' ५ तथा आश्विन और कार्तिक में 'शरत् ६ ऋतु होते हैं। )॥
४ अयनम् (न), 'अयन' का १ नाम है। यह ३ ऋतु या ६ मासका होता है।
५ सूर्यके गतिभेदसे यह 'अयन' दो प्रकारका होता है, उसमें जब सूर्यकी गति कुछ उत्तरकी तरफ होती है उसे 'उत्तरायणम्' (न), अर्थात् 'उत्तरायण' और जब सूर्यकी गति कुछ दक्षिणकी तरफ होती है उसे 'दक्षिणायनम्' (न), अर्थात् 'दक्षिणायन' कहते हैं। 'उत्तरायण' में मकरसे मिथुन राशितक और 'दक्षिणायन' में कर्कसे धनु राशितक सूर्यकी संक्रान्ति रहती है)
६ विषुवत् , विषुवम् ( + विषुणम् । २ न ), 'जब रात दिन दोनों बराबर हो जाते हैं, उस समय के २ नाम हैं। ('जब तुला और मेषकी सूर्यसंक्रान्ति होती है, तब दिन रात बराबर होते हैं')॥
• तदुक्तम् -'मादाय मार्गशीर्षाच्च दौ दो मासावृतः स्मृतः' इति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org