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दिग्वर्ग:३] मणिप्रभाध्याख्यासहितः।
१ सुषमा परमा शोभा,२ शोभा कान्तिधुतिश्छविः ॥ १७ ॥ ३ अवश्यायस्तु नीहारस्तुषारस्तुहिनं हिमम् ।
प्रालेयं मिहिका चाथ ४ हिमानी हिमसंहतिः ॥ १८ ॥ ५ शीतं गुणे ६ तद्वदर्थाः, सुषीमः शिशिरो जडः ।
तुषारः शीतलः शीतो, हमः सप्तान्यलिङ्गकाः॥ १९ ॥ ७ ध्रव औत्तानपादिः स्यागस्त्यः कुम्भसम्भवः ।
मैत्रावणिर ९ स्यैव, लोपामुद्रा सधर्मिणी ॥ २०॥ ~~~~~~~~~~~~~ ~~....~~~~~~~ लक्षणम् (+ लचमणम् ४ न) चिह्न' अर्थात् निशान के ६ नाम हैं।
१ सुषमा (स्त्री), 'अधिक शोभा' का । नाम है ॥ ___ २ शोभा (म० अभिख्या), कान्तिः, थुतिः, छविः ( ४ स्त्री) 'शोभा' के ४ नाम हैं।
३ अवश्यायः, नीहारः, तुषारः (३ पु), तुहिनम्, हिमम्, प्रालयमा (३ न), मिहिका (स्त्री। + महिका), 'पाला पड़ने' अर्थात् 'भोस, हिमर के ७ नाम हैं ।
४ हिमानी, हिमसंहतिः ( २ को) 'बहुत पाला पड़ने के २ नाम हैं।
५ शीतम् (न) 'यह शब्द 'गुणवाचक' है, अर्थात् शीतलता के अर्थमें नपुंसकलिंग में ही प्रयुक्त होता है।
६ सुषीमः (+ सुषिमः, सुशीमः), शिशिरः, जहः, तुषारः, शीतलः, शीतः, हिमा (७ त्रि), 'ठण्ढा गुणवाले द्रन्य' अर्थात् 'ठण्ढी हवा पानी' इत्यादिके ७ नाम हैं। 'तुषार, हिम, शीत इन तीन शब्दोंके निरूढ लक्षणासे द्रव्यादि अर्थात् हवा, पानी इत्यादि भी अर्थ हैं, अतः इन शब्दोंको दोनों जगह (गुण और गुणीके पर्याय में) कहा गया है'। __ ७ ध्रुवः, औत्तानपादिः (२) 'उत्तानपाद' के पुत्र अर्थात् 'मनुके पौत्र ध्रुव' के २ नाम हैं।
८ अगस्त्यः ( + अगस्तिः), कुम्भसम्भवः ( + कुम्भजः ), मैत्रावरुणिः (+मैत्रावरुणः । ३ पु), 'अगस्त्य मुनि' के ३ नाम हैं ॥
९ लोपामुद्रा (स्त्री), 'अगस्त्य मुनिकी स्त्री' का । नाम है ।
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